बागेश्वर: रोजमेरी और अन्य गुणकारी औषधीय पौधों से किसानों की आर्थिकी होगी मजबूत। डीएम

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मेडिसन एवं एरोमैटिक प्लांट पर काम शुरू,तीन दर्जन से अधिक किसानों ने किया गोष्ठि में प्रतिभाग।

बागेश्वर जिलाधिकारी आशीष भटगांई ने जिले की कमान सम्भालते ही जनसरोकार से जुड़ी समस्याओं के त्वरित निस्तारण की कार्यशैली जिले की जनता को खूब भा रही है। वहीं किसानों एवं बागवानों को खेती और बागवानी के साथ साथ औषधीय पौधे के जरिए भी आर्थिकी को मजबूत करने की दिशा में मजबूत कदम उठाएं है। जो कुछ समय बाद धरातल पर देखने को मिलेंगे। इस परिपेक्ष्य में शुक्रवार को जनपद के किसानों को औषधीय एवं सगंध पौधों के उत्पादन के लिए प्रेरित करने व उन्हें स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से आतमा योजनान्तर्गत रोजमेरी एवं जड़ी-बूटी उत्पाद संवर्द्धन हेतु एक दिवसीय संवाद/गोष्ठी कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिलाधिकारी आशीष भटगांई ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। गोष्ठी में रेखीय विभागों के अलावा स्वयं सहायता समूह की महिलाओं व प्रगतिशील किसानों ने प्रतिभाग किया गया। संवाद कार्यक्रम में रोजमेरी एवं जड़ी बूटी उत्पाद संवर्धन के लिये किसानों को प्रोत्साहित किया गया।

शुक्रवार को विकासभवन में आयोजित गोष्ठी एवं संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी ने जिले के उच्च हिमालयी एवं अन्य क्षेत्रों को सुगंध एवं औषधीय पौंधों के उत्पादन के लिए अनुकूल वातावरण बताते हुए इसे सीधे आजीविका से जोड़ने का माध्यम बताया। जिलाधिकारी ने कहा इसको लेकर मार्केटिंग की कोई समस्या नहीं होने दी जायेगी। उन्होंने एरोमेटिक एवं मेडिसन प्लांट को समय की जरूरत बताते हुए अधिक से अधिक किसानों को औषधीय एवं सुगंध पौधों के उत्पादन में आगे आने का आह्वान किया। जिलाधिकारी ने विश्व स्तरीय मांग को देखते हुए इनकी खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल देते हुए सभी खंड विकास अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रान्तर्गत एक क्षेत्र विकसित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती को अनउपजाऊ भूमि में सफलतापूर्वक की जा सकती है। इन फसलों को परम्परागत फसल चक्र में समाहित कर किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। उन्होने प्रतिभागियों से अपील की कि इन फसलों की खेती के साथ-साथ वैल्यू-एडिशन में भी काम करें। उन्होंने अधिकारियों को रोजमेरी एवं जड़ी-बूटी उत्पाद संवर्द्धन के लिए विभिन्न योजनाओं के साथ कन्वर्जेंस के तहत कार्य करने के निर्देश दिए। कहा कि कॉस्मेटिक और मेडिकल इंडस्ट्रीज में भी औषधीय एवं सगंध पौधों की काफी मांग बढने लगी है,इसे भविष्य की बेहतर संभावनाओं को देखते हुए इस दिशा में तेजी से कार्य करना सुनिश्चित करें।
मुख्य विकास अधिकारी आरसी तिवारी ने कहा कि सगंध एवं औषधि पौधा उत्पादन हेतु जिले का उच्च हिमालयी क्षेत्र अनुकूल है। जिसे देखते हुए किसानों की आय में वृद्धि एवं रोजगार के अवसर सृजित करने के प्रयास किए जा रहे है। इसी के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। कृषि क्षेत्र में आ रही चुनौतियों व एरोमैटिक सेक्टर के बढ़ते बाजार को देखते हुए सगंध खेती एवं इससे संबंधित खेती को बढ़ावा देने से निश्चित तौर पर किसानों के लिए यह आजीविका का बेहतर सेक्टर बन सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार आर्थिकी और पर्यावरण के मध्य समन्वय स्थापित करते हुए राज्य की परिस्थितियों के अनुरूप विकास पर विशेष ध्यान देते हुए योजना बना रही है।
सीमैप के सीनियर टैक्निकल ऑफिसर प्रबल वर्मा ने बताया कि औषधीय एवं सगंध पौधों के व्यापार में आगे बढ़ने की अपार संभावनाएं हैं। विकसित तकनीकों पर आधारित हर्बल उत्पादों का निर्माण कर बाजार में बिक्री कर सकते हैं। उन्होने प्रशिक्षण कार्यक्रम में आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती के साथ ही प्रसंस्करण एवं भंडारण की तकनीकियों पर भी विस्तृत जानकारियां दी।
इस दौरान बदियाकोट की प्रगतिशील किसान दया दानू ने अपने अनुभव साझा करते बताया कि उन्होंने 42 महिलाओं को साथ में लेकर 50 नाली में कुटकी जड़ी बूटी का उत्पादन करना प्रारंभ किया था। जिसे विस्तार करते हुए वर्तमान में यह खेती पांच सौ नाली में हो रही है। न्याय पंचायत के नौ गांवों की 250 महिलाओं को इस खेती से जोड़ा गया है। पहले 4 से 5 लाख तक होने वाली आय को 27 लाख तक पहुंचाया गया है। जिलाधिकारी सहित अन्य अधिकारियों ने उनके प्रयासों की प्रशंसा की। इस दौरान प्रगतिशाील किसानों को सम्मानित भी किया गया।
गोष्ठी/संवाद कार्यक्रम में प्रभागीय वनाधिकारी ध्रुव सिंह मर्तोलिया, परियोजना निदेशि शिल्पी पंत, जिला विकास अधिकारी संगीता आर्या, उद्यान अधिकारी आरके सिंह, कृषि अधिकारी राजेंद्र उप्रेती सहित अन्य रेखीय विभागों के अधिकारी, स्वयं सहायता समूह की महिलाएं व प्रगतिशील किसान मौजूद रहे।

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