बागेश्वर:(परंपरा)बाबा बागनाथ मंदिर में चतुर्दशी पर उमड़े होलियार,किया भगवान शिव को होली खेलने का आग्रह

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उत्तराखंड में कुमाऊं की काशी के नाम से शुमार भगवान शिव के बागनाथ मंदिर में शिव चतुर्दशी पर होली की परंपरा वर्षों से चली आ रही है इस दिन आस पास के सैकड़ों गांवों के होलियार बाबा की नगरी में पहुंचते हैं और बाबा के मंदिर में रंग चढ़ाकर भगवान शिव को होली खेलने का आग्रह करते हैं इसके बाद परिसर में शानदार होली गायन किया जाता है जिसका सभी जमकर लुफ्त भी उठाते हैं इसी परंपरा के तहत आज भी कत्यूर क्षेत्र समेत आस पास के कई गांवों के होलियारों की टोली यहां पहुंची इलाके के गांवों से होल्यार अपने अपने दलनायक अथवा डांगर के नेतृत्व मे आते हैं।

सभी गांवों के होल्यारों का मिलन चौक बाजार में हुआ जहां से सभी होल्यार एकरुप होकर बागनाथ मंदिर में एकत्र हो शिवजी को अबीर, गुलाल, तथा रंगों से पूजा अर्चना कर शिवजी के होली गायन के जरिये होली खेलने का आग्रह करते हैं।

जानकारों का कहना है कि मंदिर बनने के साथ ही यह परंपरा चली आ रही है। पहले जहां 200 गांवों के होल्यार एकत्रित होते थे वहीं अब कई गांवों की होलियां इसमें भाग नहीं ले रही हैं। इसका प्रमुख कारण युवाओं का पारंपरिक होलियों में प्रतिभाग न करना। वहीँ बागनाथ मंदिर के पंडित का कहना है की शिवचतुर्दशी होली के दिन बड़ी मान्यता है इस दिन बाबा बागनाथ मंदिर में अबीर,गुलाल अर्पित करने के लिए दर्जनो की संख्या में ग्रामीण और स्थानीय होल्यार आते है और होली गायन करते है। शिवचतुर्दशी होली का बड़ा महत्व माना जाता है शिव मंदिरो पर अबीर,गुलाल चढ़ा कर एक दूसरे को आशीर्वाद देते है। कुमाउँनी होली पर्व हमारी पारंपरिक सांस्कृतिक धरोहरों में से है। युवाओं को जोड़ने के लिए इस परंपरा को बचाने के लिए हमारी बुजुर्ग पीढ़ी को आगे आकर होली गायन के प्रति युवाओं को जागरुक करना होगा तभी इस परंपरा को पुनः पहले की स्थिति में लाया जा सकेगा।

इस मौके पर जिला पंचायत उपाध्यक्ष नवीन परिहार,गोबिंद कठायत, डॉ राजेंद्र परिहार, दीपक परिहार,दरबान बिष्ट, प्रकाश ऐठानी,राजेंद्र टंगड़िया,चंदन परिहार, नवीन बलसुनी, गोबिंद मटियानी, आनंद जोशी आदि होल्यार मौजूद रहे।बागेश्वर:(परंपरा)बाबा बागनाथ मंदिर में चतुर्दशी पर उमड़े होलियार,किया भगवान शिव को होली खेलने का आग्रह