बागेश्वर: पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी ने की सरकार से घाटे में चल रहे खड़िया खनन उद्योग को उबारने की प्रार्थना
घाटे में चल रहे खड़िया खनन उद्योग को उबारने हेतु प्रार्थना ।
बागेश्वर: जिले के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश चंद्र सिंह ऐठानी ने सरकार से घाटे में चल रहे खड़िया खनन उद्योग को उबारने की प्रार्थना की है ।उन्होंने घाटे में चल रहे इस उद्योग से प्रभावित हो रहे लोगों के लिए चिंता जाते हुवे जिलाधिकारी के माध्यम से सीएम उत्तराखंड सरकार को ज्ञापन भेजने की बात भी कही है ।पत्रकार वार्ता में उन्होंने का कि जिस प्रकार उत्तराखण्ड में उद्योगों को स्थापित करने और बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आपके द्वारा सराहनीय प्रयास किये जा रहे हैं, के क्रम में निवेदन है कि विगत 45 वर्षो से उत्तराखण्ड के बागेश्वर जनपद की कपकोट तथा बागेश्वर विधानसभा के अन्तर्गत काण्डा, दुगनाकुरी, कपकोट, बागेश्वर तहसीलों में लगभग 138 खड़िया की खदानें स्वीकृत हैं जो स्थानीय स्तर पर वृहद रोजगार के प्रमुख साधन के रूप में स्वीकार्य व स्थापित हैं। इस उद्योग स्थानीय मजदूर स्थानीय भू-स्वामी, भवन स्वामी, स्थानीय ट्रान्सपोर्ट, तो प्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त कर ही रहे हैं के अलावा खदान स्वामियों द्वारा स्थानीय विद्यालयों के शिक्षण कार्यों, स्थानीय वन पंचायतों में संरक्षण व संवर्धन के कार्यों के साथ ही बरसाती एवं सदाबहार जल निकास मार्गो में संरक्षण के कार्यों में जन अपेक्षाओं के अनुरूप सहयोग दिया जा रहा है।
महोदय, बागेश्वर जनपद में लगभग 1300 हेक्टेअर भू भाग पर खड़िया खनन कार्य किया. जा रहा है। वर्ष 2020 2021 में लगभग 320000 टन उत्पादन हुआ, वर्ष 2021-2022 380000 टन उत्पादन वर्ष 2022 2023 में 480000 टन खनिज का उत्पादन किया गया था।
महोदय युक्रेन युद्ध के अलावा बाजार में सप्लीमेन्ट के रूप में मांग का घटना ऐसी अवस्था है जिस अवस्था में खडिया बाजार अप्रत्यशित रूप से लुड़का है। महोदय, खड़िया खनन व्यवसाय ने पिछले 45 सालों में राज्य को राजस्व देने में जो
महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है वह सर्व विदित है क्योंकि वर्ष 2023 2024 में 95 प्रतिशत
खड़िया खदानों में 15 अक्टूबर तक काम प्रारम्भ ही नहीं हुआ है तथा खदान स्वामियों द्वारा बताया
जा रहा है कि इस स्थिति में वर्तमान स्थिति वर्ष में इस वर्ष खदानों में काम करना मुश्किल होगा।
पर छाये ऐसे कठिन संकट काल में सभी खदान स्वामियों के पास सरकार की तरफ मदद के लिये टक-टकी लगाने के अलावा कोई मार्ग शेष नहीं बचा है।
महोदय ये निवेदन है कि खड़िया खदानों के रूप में स्थापित उद्योग के संरक्षण सम्बर्धन और इस उद्योग के साथ जुड़े स्थानीय स्तर के रोजगार को बचाये व बनाये रखने के लिये सरकार की तरफ से जरूरी मदद की दरकार है। अधोहस्ताक्षरी सरकार से उम्मीद करता है कि प्रत्येक खदान स्वामी / कम्पनी को इस संकट से उबारने के लिये प्रतिटन दो हजार रू की आर्थिक मदद का प्राविधान करने की महती कृपा सरकार करेगी।
देने महोदय संकट के इस दौर में यदि सरकार खदान कम्पनियो / स्वामियों को मदद नहीं करती है तो यह भारी भरकम उद्योग सिरे से खूब जायेगा जो राज्य के राजस्व सहित क्षेत्रीय रोजगार व खदानों के भू स्वामियों को कहीं का भी नहीं छोड़ेगा।