देहरादून :(बिग न्यूज) विवाह की सारी रीतियां मंजूर, लेकिन पंजीकरण जरूरी

ख़बर शेयर करें

देहरादून: उत्तराखंड समान नागरिक संहिता अधिनियम सभी धर्मों में किसी भी रीति-रिवाज से होने वाले विवाह को मान्यता दी गई है, लेकिन पंजीकरण की शर्त अनिवार्य की गई है। अधिनियम लागू होने के बाद भी विवाह समारोह पूर्व की भांति परंपरागत तरीके से होते रहेंगे। लोग पहले की तरह ही अपने धार्मिक रीति रिवाजों का प्रयोग करते रहेंगे। नियमावली में विवाह के लिए आनंद कारज (सिख समुदाय), आशीर्वाद (पारसी समुदाय), पवित्र मिलन

■ विवाह के लिए सांस्कृतिक तौर-तरीके सुरक्षित रहेंगे
■ पंजीकरण और कानूनी मानकों का करना होगा पूरा पालन

(ईसाई समुदाय), मंगल फेरे (जैन समुदाय), निकाय (मुस्लिम समुदाय), निसुइन (यहूदी समुदाय), पकटोन (बौद्ध समुदाय) आदि समुदायों की विवाह पद्धतियों का उल्लेख किया गया है। हालांकि यह जरूरी है कि विवाह के लिए अधिनियम में उल्लिखित बुनियादी शर्तें (उम्र, मानसिक क्षमताऔर जीवित जीवनसाथी का न होना आदि) पूरी की जाएंगी। इससे राज्य के लोगों की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक आजादी सुरक्षित रहती है, जबकि विवाह के मूलभूत कानूनी मानकों का भी पालन पूरा होता है।

रंजना देसाई की अध्यक्षता में बनाई गई थी कमेटी

देहरादून। प्रदेश सरकार ने समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी। इस कमेटी में जस्टिस प्रमोद कोहली, मनु गौड़, शत्रुघ्न सिंह, सुरेखा डंगवाल को भी शामिल किया गया था। यूसीसी का ड्राफ्ट सामने आने के बाद सरकार ने इसकी नियमावली तैयार करने के लिए भी नौ सदस्यीय कमेटी गठित की थी। पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता वाली इस नौ सदस्यीय कमेटी में अपर सचिव न्याय सुधीर सिंह, पुलिस उप महानिरीक्षक प्रशिक्षण बरिंदरजीत सिंह, दून विवि की वीसी प्रो. सुरेखा डंगवाल और सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़ सदस्य के रूप में जबकि अपर सचिव कार्मिक, पंचायतीराज, शहरी विकास और वित्त को पदेन सदस्य बनाया गया है।

Ad Ad Ad Ad