देहरादून :(बिग न्यूज) अब विद्यालयों में होगा श्रीमद्भगवद्‌गीता शिक्षाप्रद अंशों का उपयोग

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विद्यालयों में श्रीमद्भगवद्‌गीता के शिक्षाप्रद अंशों का उपयोग कर विद्यार्थियों को भारतीय ज्ञान परम्परा एवं जीवन मूल्यों से सम्बन्धित जानकारी देना।

उपर्युक्त विषयक अवगत कराना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के आलोक में विभिन्न विषयों के साथ-साथ अंतःविषयक क्षेत्र के अन्तर्गत सभी छात्र-छात्राओं को भारतीय ज्ञान परम्परा का आधार एवं ज्ञान प्रणाली का अध्ययन कराया जाना है, इस हेतु राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अन्तर्गत पाठ्यक्रम तथा पाठ्य पुस्तकें विभिन्न कक्षाओं हेतु विकसित सत किये जाने की कार्यवाही गतिमान है।
तक्रम में विद्यालयी शिक्षा हेतु उत्तराखण्ड राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा में भी भारतीय ज्ञान परम्परा तथा स्थानीय सन्दर्भित ज्ञान प्रणाली के अध्ययन की अनुशंसा की गई है। दिनांक 06 मई, 2025 को मा० मुख्यमंत्री जी एवं मा० शिक्षा मंत्री जी को राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा से अवगत कराया गया, जिस पर मा० मुख्यमंत्री जी द्वारा निर्देश दिये गये कि भारतीय ज्ञान परम्परा के अन्तर्गत उत्तराखण्ड के विद्यार्थियों को श्रीमद्भगवद्गीता तथा रामायण को भी विद्यालयी शिक्षा की रूपरेखा के साथ पाठ्यक्रम में भी सम्मिलित किया जाय। मा० मुख्यमंत्री जी के निर्देशों को “उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा हेतु राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा” में सम्मिलित कर लिया गया है।
उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा हेतु राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा की अनुशंसाओं के अनुरूप पाठ्य पुस्तकें आगामी शैक्षिक सत्र से आरम्भ की जानी प्रस्तावित है, जिसके उपरान्त अंतःविषयक क्षेत्र की पाठ्य पुस्तकों में भारतीय ज्ञान परम्परा तथा श्रीमद्भगवदगीता तथा रामायण के अध्यायों को सम्मिलित किया जा सकेगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 छात्रों के चारित्रिक और नैतिक गुणों के विकास पर अत्यन्त बल देती है और अपनी प्राचीन ज्ञान परम्परा से छात्रों को जोड़े रखने का अभिनव प्रत्यन्त कर रही है। भारत जिसे कि ज्ञान के क्षेत्र में कभी विश्वगुरू का दर्जा प्राप्त था। विदेशी आक्रान्ताओं और समसामायिक परिस्थितियों के कारण इस पदवी से वंचित हो गया, किन्तु समकालीन भारत ज्ञान और कौशल के क्षेत्र में बहुत तेजी से आधुनिक विश्व में अपना स्थान स्थापित कर रहा है। हमारी जीवंत राष्ट्रीय विरासत और वातावरण, जिसमें हम निवास करते हैं जो हमारी सम्पूर्ण जीवनशैली को प्रभावित करता है उसका अध्ययन विद्यार्थियों के भावी जीवन का मार्गदर्शन करेगा।डॉ० धन सिंह रावत, मा० मंत्री जी, विद्यालयी शिक्षा, उत्तराखण्ड सरकार ने भी शिक्षा की पारम्परिक भारतीय ज्ञान प्रणाली को विद्यालयों में अपनाये जाने पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा जो कि विश्व की प्राचीनत्तम प्रणालियों में से एक है, इसका अध्ययन छात्र/छात्राओं में नैतिक, शारीरिक, आध्यात्मिक एवं बौद्धिक पहुलुओं का संवर्द्धन करेगा।

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