बागेश्वर में पर्यटन और रोजगार: विकास और आत्मनिर्भरता की नई मिसाल


बागेश्वर जिले में पर्यटन विकास और राज्य सरकार की योजनाओं और जिला प्रशासन के अथक प्रयासों से ग्रामीण अंचलों की तस्वीर बदल रही है। पर्यटन स्वरोजगार योजना से स्थानीय युवाओं और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिला है, वहीं वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना ने परिवहन सेवाओं और पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देकर रोजगार और सुविधाओं का विस्तार किया है। पंडित दीनदयाल गृह आवास योजना ने सुरक्षित व सुविधाजनक आवास उपलब्ध कराते हुए होमस्टे और स्थानीय व्यवसायों को मजबूती प्रदान की है। ट्रेकिंग ट्रैक्शन योजना ने युवाओं को साहसिक पर्यटन से जुड़ी नई नौकरियों से जोड़ा है और मातृ-पितृ प्रोत्साहन योजना ने परिवारों को आर्थिक सहयोग देकर ग्रामीण जीवन में स्थायित्व और समृद्धि लाई है।
मार्च 2024–25 से अब तक अनेक लोग इन योजनाओं से सीधे लाभान्वित हुए हैं। ममता मेहता द्वारा आशीर्वाद होमस्टे कपकोट, कमलेश सिंह रावत द्वारा रिवर होमस्टे गागरीगोल, मोहन चंद्र कांडपाल द्वारा वाटिका विस्टा होमस्टे कौसानी, हेमा देवी द्वारा कामाक्षी होमस्टे कौसानी तथा कलावती देवी द्वारा जय माँ लक्ष्मी होमस्टे लीती, गोपाल दत्त द्वारा जायका होमस्टे छाती जैसे सफल उदाहरण सामने आए हैं। इन पहलों से न केवल स्थानीय परिवारों को स्थायी आजीविका मिली है, बल्कि महिलाएँ और युवा हस्तशिल्प, पारंपरिक उत्पादों और स्थानीय व्यंजनों के माध्यम से भी अपनी आय बढ़ा रहे हैं।
होमस्टे में ठहरने वाले पर्यटक बागेश्वर की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत का अनुभव कर रहे हैं, जिससे ग्रामीण पर्यटन को नई पहचान मिली है। राज्य सरकार की सक्रिय पहल और समग्र विकास रणनीतियों के परिणामस्वरूप बागेश्वर आज आत्मनिर्भरता और रोजगार-सृजन का सशक्त केंद्र बनकर उभरा है। आने वाले समय में ये प्रयास न केवल हजारों लोगों की आजीविका सुनिश्चित करेंगे बल्कि जिले की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देकर बागेश्वर को उत्तराखंड के पर्यटन मानचित्र पर एक प्रमुख गंतव्य के रूप में स्थापित करेंगे।


