बागेश्वर:मुगा रेशम वाटिका में आसाम से वैज्ञानिकों का दल उप निदेशक मुगा बोर्ड उत्तराखंड के साथ अवलोकन

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पर्यावरण संरक्षण के साथ ही मुगा रेशम की खेती को अपनाकर पर्यावरण पूरक रोजगार को आगे बढ़ाने के सूक्ष्म प्रयास देवकी लघु वाटिका मंडलसेरा की मुगा रेशम वाटिका में आसाम से वैज्ञानिकों का दल उप निदेशक मुगा बोर्ड उत्तराखंड के साथ अवलोकन हेतु वाटिका में पहुँचकर अनेक प्रकार की महत्वपूर्ण जानकारियों का आदान- प्रदान हुआ जिससे आगे मुगा की खेती बृहद स्तर पर उत्तराखंड में अपनाकर रोजगार की अपार संभावना बताई गई, मालूम हो जोरहट आसाम से ही मुगा रेशम की खेती की शुरुवात हुई थी जो सबसे कीमती भी है वाटिका में मुगा के साथ हल्दी, अंबा हल्दी, अदरक, लेमनग्रास, रोजमैरी, तुलसी, ब्रहामि, मुसलि, गडेरी, पिनालु , इलाईचाइ आदि फसलों को देखकर इसे आसाम आदि राज्यों में भी अपनाकर और अधिक लाभावनित होने की बात कही जिसे सफल भी बताया गया आसाम की वैज्ञानिक डा लोपामुद्रा गुहा, उपनिदेशक श्री संजय काला, राजेंद्र कोठारी, बृजेश रतुडि, श्रीमती देवकी देवी, रमा देवी, मनीषा मलड़ा , प्रशांत आदि मौजूद रहे किशन मलड़ा ने सभी का आभार प्रकट करते हुवे ज्यादा से ज्यादा मुगा खेती एवं संयुक्त फसलों जो जंगली पशुओ से भी सुरक्षित हैं जिन्हें अपनाकर पर्यावरण संरक्षण के साथ रोजगार को बड़ाकर पलायन भी रोकने की बात बताई।