उत्तराखंड- प्रदेश कैबिनेट के एक- एक फैसले पढ़िए विस्तार से ….

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कैबिनेट द्वारा लिये गये फैसले

1- पटेल नगर स्थित पुराने कार्यालय भवन के स्थान पर डेवलपमेंट ऑफ बिजनेस होटल संचालन के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय। पटेल नगर स्थित पुराने कार्यालय भवन के स्थान पर डेवलपमेंट ऑफ बिजनेस होटल संचालन किया जाना है। उक्त पी०पी०पी० योजना संचालन की अवधि 60 वर्ष निर्धारित की गयी तथा यदि सम्बन्धित फर्म द्वारा संतोषजनक संचालन किया जाता है, तो 30 वर्ष की अवधि को पुनः संशोधित शुल्क के अनुसार नवीनीकृत किया जा सकेगा। 60 वर्ष संचालन अवधि से कुल रू0 247.06 करोड़ की आय होगी, जबकि उक्त भवन में संचालित कार्यालय से वर्तमान तक कोई आय प्राप्त नहीं हुई है। उक्त योजना संचालन से रोजगार का सृजन भी प्राप्त होगा।

2- जॉर्ज एवरेस्ट इस्टेट मसूरी में ऐरोस्पोर्टस गतिविधियां संचालन के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। जार्ज एवरेस्ट इस्टेट, मसूरी से ऐरो स्पोर्ट्स गतिविधियाँ संचालन पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में 01 वर्ष के लिये किया जा रहा है, जिसमें हिमालय दर्शन योजना संचालित की जा रही है। उक्त ऐरो स्पोर्ट्स गतिविधियों का नियमित संचालन किया जाना है अतः उक्त योजना में ऐरोस्पोर्ट गतिविधियां संचालन की अवधि 15 वर्ष तथा यदि सम्बन्धित फर्म द्वारा संतोषजनक संचालन किया जाता है. तो 15 वर्ष की अवधि को पूर्व में निर्धारित शर्तों एवं संशोधित वार्षिक शुल्क के अनुसार किये जाने की अनुमति प्रदान की गयी है। इससे ऐरोस्पोर्ट गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा तथा उक्त योजना से रू0 60.14 करोड़ की आय प्राप्त होगी। असाइनमेंट के कार्य के दायरे में हैलीपैड, बुनियादी ढांचे, भूमि, पाथवें, वुडन हट्स – 05 म्यूजियम 02, कैफे, पार्किंग, Observatory का संचालन और रख रखाव शामिल है। उक्त योजना के संचालन से पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी। तथा भूमि पर अतिक्रमण की सम्भावनायें समाप्त हो जायेंगी।

3- उत्तराखण्ड मोटरयान नियमावली, 2011 के नियम 229 (1) में संशोधन के संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। प्रदेश के अन्तर्गत यातायात दबाव एवं सड़क सुरक्षा सम्बन्धी संवेदनशीलता के दृष्टिगत दुपहिया वाहन आधारित प्रवर्तन दलों का गठन किया गया है, जिसमें वरिष्ठ प्रवर्तन पर्यवेक्षकों एवं प्रवर्तन सिपाहियों की तैनाती की गई है। सुगम एवं सुरक्षित यातायात को व्यवस्थित रूप से संचालित किये जाने हेतु दुपहिया वाहन सचल दल में वरिष्ठ प्रवर्त्तन पर्यवेक्षक को तैनात करते हुये उनके कर्तव्य निर्वहन को प्रभावी बनाने के उद्देश्य से उत्तराखण्ड मोटरयान नियमावली, 2011 के अन्तर्गत निर्दिष्ट कुछ नियमों के उल्लंघन के लिये चालान करने की शक्ति प्रदान की गयी है।

4- विद्यालयी शिक्षा विभाग के कार्यालयों/ विद्यालयों हेतु सृजित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के रिक्त पदों (मृत संवर्ग) को आउटसोर्स के पदों में परिवर्तित किए जाने के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। प्रस्ताव छठवे वेतन आयोग में समूह घ श्रेणी के पदों को समाप्त किए जाने की संस्कृति के क्रम में वित्त विभाग, उत्तराखण्ड शासन के शासनादेश दिनांक 24.03.2011 द्वारा समस्त समूह ’घ’ श्रेणी के पदों को मृत संवर्ग में घोषित किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप समूह ’घ’ श्रेणी के कार्मिकों की सेवानिवृत पदोन्नति एवं अन्य कारणों से रिक्त हुए समूह बेणी के पदों के कारण विद्यालयों/कार्यालयों में कार्य संचालन में अत्यन्त कठिनाइयां उत्पन्न हो रही है। उक्त के निराकरण हेतु विद्यालयी शिक्षा विभाग के अन्तर्गत राज्य / मण्डल / जनपद / विकासखण्ड स्तर तक के कार्यालयों तथा राजकीय हाईस्कूल /इण्टरमीडिएट कॉलेजों हेतु चतुर्थ श्रेणी/स्वीकृत 7881 पदों के सापेक्ष वर्तमान में रिक्त 4331 पदों (वर्ग) में से 2364 पदों को आपदा में परिवर्तित करते हुए उक्त पदों पर कार्मिकों को आउटसोर्सिग के रूप में खुले बाजार में ऐजेन्सी के माध्यम से लिया जाना प्रस्तावित है।

5- प्रदेश में पंजीकृत अन्त्योदय राशन कार्डधारकों को वित्तीय वर्ष 2023-24 में तीन गैस सिलेन्डर रिफिल निःशुल्क उपलब्ध कराये जाने के संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के अन्तर्गत अन्त्योदय राशन कार्डधारकों को वित्तीय वर्ष 2022-23 में तीन गैस सिलेन्डर रिफिल निःशुल्क उपलब्ध कराये गए हैं। उक्त योजना को चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 में भी निरन्तर रखा जायेगा। वर्तमान में राज्य में लगभग 1,81,684 अन्त्योदय राशन कार्डधारक है। वर्तमान दरों के अनुसार एक गैस सिलेन्डर रिफिल पर रु 1000.00 का व्यय अनुमानित है। इस प्रकार वर्ष में तीन गैस सिलेन्डर रिफिल पर लगभग 3000.00 का वार्षिक व्यय अनुमानित है। अन्त्योदय राशन कार्डधारकों को वर्ष में तीन गैस सिलैन्डर रिफिल निःशुल्क दिये जाने पर कुल वार्षिक अनुमानित व्यय 3,000×1,81,684 5450,52,000.00 (रूपये चौव्यन करोड पचास लाख बावन हजार मात्र) आना सम्भावित है, जिसे राज्य सरकार द्वारा वहन किया जायेगा। उक्त लाभ हेतु लाभार्थी के पास अन्त्योदय राशन कार्ड होना अनिवार्य होगा। यह सुविधा जनपद के जिलापूर्ति अधिकारी के माध्यम से प्रदान की जायेगी जिलापूर्ति अधिकारी द्वारा क्षेत्र की सम्बन्धित गैस एजेन्सी को अन्त्योदय कार्डधारकों की सूची उपलब्ध करायी जायेगी। सम्बन्धित गैस एजेन्सी द्वारा अन्त्योदय कार्डधारकों को वर्ष में माह अप्रैल से जुलाई के मध्य प्रथम, माह अगस्त से नवम्बर के मध्य द्वितीय तथा माह दिसम्बर से मार्च के मध्य तृतीय निःशुल्क गैस सिलेन्डर रिफिल उपलब्ध कराया जायेगा। सम्बन्धित गैस एजेंसी द्वारा अन्त्योदय कार्डधारकों को निःशुल्क रिफिल गैस सिलेन्डर उपलब्ध कराने के उपरान्त गाह जुलाई, नवम्बर तथा मार्च के अन्त में बिल सम्बन्धित कार्डधारक के राशन कार्ड की स्वप्रमाणित छायाप्रति सहित जिलापूर्ति अधिकारी को उपलब्ध कराया जायेगा।जिलापूर्ति अधिकारी द्वारा नियमानुसार गैस एजेंसी को भुगतान किया जायेगा। जिलापूर्ति अधिकारियों को बजट की धनराशि आयुक्त, खाद्य, उत्तराखण्ड द्वारा उपलब्ध कराई जायेगी।

6- नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग, उत्तराखण्ड के ढांचे का पुनर्गठन किये जाने के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। उत्तराखण्ड राज्य के गठन के उपरान्त पूर्ववर्ती राज्य उत्तर प्रदेश से राज्य पुनर्गठन के अन्तर्गत नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग, उत्तराखण्ड को कुल 105 पद स्थान्तरित किये गये। तत्पश्चात विभागीय आवश्यकताओं के अनुसार शासनादेश संख्या-143/V-2014 –320 (आ0) / 2005, दिनांकः 25 फरवरी, 2015 द्वारा विभागीय ढांचे में सृजित कुल 131 पदों के सापेक्ष वर्तमान में विभाग में नगर नियोजकों की अति अल्पता के साथ-साथ नियोजन एवं तकनीकी विषयों में दक्ष कार्मिक भी उपलब्ध नहीं है तथा इसके साथ ही विभाग में सृजित कतिपय पद वर्तमान समय की आवश्यकता अनुसार उपयुक्त नहीं है तथा नवीन तकनीक में योग्य एवं प्रशिक्षित कर्मियों के अभाव में महायोजना के कार्यों के पर्यवेक्षण व अनुश्रवण में आने वाली कठिनाईयों तथा राज्य की संवेदनशील भौगोलिक परिक्षेत्र के दृष्टिगत नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग, उत्तराखण्ड के अन्तर्गत विभागीय ढांचे को पुर्नगठन किये जाने हेतु निम्नलिखित प्रस्ताव प्रस्तावित किए गये है – 1- नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग, उत्तराखण्ड के पूर्व सृजित ढांचे में सृजित 131 पदों के सापेक्ष 106 पदों को यथावत रखते हुए एवं उत्तराखण्ड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण (उडा) /अन्य विकास प्राधिकरणों के ढांचे में सृजित पदों यथा मुख्य नगर नियोजक, वरिष्ठ नियोजक, नगर नियोजक / वास्तुविद वास्तुविद् राहायक नगर नियोजक एवं मुख्य मानचित्रकार / मानचित्रकार के कुल 98 पदों के सापेक्ष 59 पदों को पुनर्गठित होने वाले ढांचे में स्थानान्तरित कर सम्मिलित करते हुए तथा 98 पूर्व प्रस्तावित नवीन पदों के सापेक्ष 65 नवीन पदों का सृजन करते हुए कुल 206 सीधी भर्ती / पदोन्नति एवं 24 आउटसोर्स पदों सहित कुल 245 पदों का सृजन करते हुये विभागीय ढांचे का पुनर्गठन किये जाने का प्रस्ताव।
नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के अन्तर्गत पुनर्गठित ढांचे में कुल 230 पदों के सृजन के प्रस्तावानुसार मुख्यालय स्तर पर कुल 124 पद एवं जिला स्तरीय इकाई स्तर पर 106 पद रखे जाने का प्रस्ताव 3- नियमित पदों के संबंध में जब तक नियमित कार्मिक की नियुक्ति नहीं हो जाती तथा आउटसोर्स के संबंध के आधार पर भरे जाने वाले पदों के संबंध में प्रतिनियुक्ति / सेवानिवृत्ति के उपरान्त पुनर्नियुक्ति के माध्यम से / प्रतिस्पर्धा के आधार पर चयनित आउटसोर्स एजेन्सी के माध्यम से / QCBS के आधार पर चयनित आउटसोर्स एजेन्सी के माध्यम से किये जाने के प्रस्ताव पर कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। प्राधिकरणों के अन्तर्गत नियोजन रोल बनाने का प्रस्ताव।
7- उत्तराखण्ड भूसम्पदा नियामक प्राधिकरण (रेरा) के वार्षिक प्रतिवेदन, 2019-20 एवं 2020-21 को विधान सभा में सदन के पटल पर रखे जाने के संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। भूसम्पदा (विनियमन एवं विकास) अधिनियम, 2016 की धारा 78 में प्रावधानित व्यवस्थाओं के अन्तर्गत उत्तराखण्ड भूसम्पदा नियामक प्राधिकरण (रेरा) के वार्षिक प्रतिवेदन, 2019-20 एवं 2020-21 को विधान सभा में सदन के पटल पर रखे जाने हेतु आलोच्य वर्ष 2022-23 में उत्तराखण्ड भूसम्पदा नियामक प्राधिकरण की 25वीं बोर्ड बैठक में लिये गये निर्णय के क्रम में वित्तीय वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 की गतिविधियों, अन्य कार्यकलापों एवं उपलब्धियों के आधार पर तथा उक्त वार्षिक प्रतिवेदनों में प्राधिकरण के वित्तीय वर्षो के लेखा एवं प्रधान महालेखाकार (लेखा परीक्षा) से प्राप्त लेखा परीक्षा प्रतिवेदन भी सम्मिलत करते हुये उत्तराखण्ड भूसम्पदा नियामक प्राधिकरण (रेरा) द्वारा तैयार कराये गये वार्षिक प्रतिवेदनों को विधान सभा में सदन के पटल पर रखे जाने हेतु स्वीकृति का प्रस्ताव प्रस्तावित किया गया है।

8- उत्तराखण्ड विद्युत नियामक आयोग द्वारा विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा-181 के अन्तर्गत अधिसूचित किये गये विनियमों को अधिनियम की धारा-182 के अन्तर्गत विधानसभा पटल पर प्रस्तुत किये जाने के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। केन्द्रीय विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 181 के अन्तर्गत उत्तराखण्ड विद्युत नियामक आयोग द्वारा अधिसूचित किये गये विनियमों को अधिनियम की धारा-182 के अन्तर्गत विधानसभा के पटल पर रखे जाने का प्राविधान है, जिसके अनुपालन में आयोग द्वारा दिनांक 01.02.2021 से दिनांक 20.08.2022 तक अधिसूचित किये गये विनियमों को आगामी विधानसभा सत्र में रखे जाने हेतु प्रस्ताव पर मा० मंत्रिमण्डल द्वाराः अनुमोदन प्रदान किया गया है।

9- उत्तराखण्ड पेयजल संसाधन विकास एवं निर्माण निगम की वित्तीय वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 के वार्षिक लेखे / प्रतिवेदन (Balance Sheet) को विधान सभा के पटल पर रखे जाने के संबंध में। उत्तर प्रदेश जल सम्भरण, सीवर व्यवस्था अधिनियम, 1975 (उत्तराखण्ड में यथा प्रवृत्त) की धारा 50 (5) (क) के अन्तर्गत उत्तराखण्ड पेयजल निगम के वार्षिक लेखे राज्य सरकार को उपलब्ध कराये जाने तथा राज्य सरकार द्वारा वार्षिक लेखों को विधान सभा के पटल पर प्रस्तुत किये जाने का प्राविधान है। तद्क्रम में उत्तराखण्ड पेयजल निगम के वित्तीय वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 के वार्षिक लेखे / प्रतिवेदन को विधान सभा के पटल पर प्रस्तुत किये जाने हेतु मा० मंत्रिमण्डल का अनुमोदन प्राप्त करने हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया जिसे मा० मंत्रिमण्डल द्वारा अनुमोदित किया गया।
10- जनपद ऊधमसिंह नगर में ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों के पूर्व वितरित पदों की संख्या बढ़ाये जाने के संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। पंचायतीराज विभाग की संरचना में न्याय पंचायतों की अवस्थिति के आधार पर जनपदों में ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों के पदों को वितरित किया गया है। जनपद ऊधमसिंहनगर में 376 ग्राम पंचायतें गठित है, तथा ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों के स्वीकृत 27 पदों के सापेक्ष एक ग्राम पंचायत विकास अधिकारी के पास लगभग 14 ग्राम पंचायतें आवंटित होने के फलस्वरूप पदों की अतिन्यूनता को दृष्टिगत रखते हुये शासकीय / जनहित के कार्यों की गुणवत्ता एवं गतिशीलता बढ़ाने के उद्देश्य से अन्य जनपदों में विलुप्त हुयी न्याय पंचायतों की संख्या के आधार पर जनपद ऊधमसिंहनगर में 07 – अतिरिक्त पदों को स्थानांतरित किए जाने का प्रस्ताव है।
11- उत्तराखण्ड शासन (वित्त अनुभाग-06) विषय-राष्ट्रीय बचत निदेशालय को समाप्त करते हुए विभाग के कार्मिकों का समायोजन/संविलयन करने तथा विभाग द्वारा सम्प्रति किये जा रहे कार्यों को जिलाधिकारी कार्यालय को हस्तांतरित करने एवं राज्य स्तर पर रामन्वय हेतु निदेशक कोषागार, पेंशन एवं लेखा – हकदारी को दायित्व प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। भारत सरकार की राष्ट्रीय बचत योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय बचत विभाग के कार्मिकों की तैनाती तथा वेतन / भत्तों आदि का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाता है, चूंकि वर्तमान में राष्ट्रीय बचत विभाग के अन्तर्गत तैनात कार्मिकों का कार्य केवल अभिकर्त्ताओं की नियुक्ति / नवीनीकरण तथा अल्प बचत योजना का प्रचार-प्रसार करना है। इसके लिए सभी जनपदों हेतु ढाँचे में पदों का सृजन किया गया है तथा कार्मिकों की तैनाती की गयी है। कार्य की कमी के कारण राष्ट्रीय बचत विभाग में उपलब्ध मानवीय संसाधन का पर्याप्त उपयोग नहीं हो पा रहा है। इसके दृष्टिगत निम्नवत प्रस्तावित हैः- राष्ट्रीय बचत विभाग अंतर्गत जिला स्तर पर सम्प्रति किये जा रहे कार्यों को जिलाधिकारी कार्यालय को हस्तांतरित करते हुए जनपद स्तर पर राष्ट्रीय बचत विभाग को समाप्त करते हुए, विभाग में कार्यरत मिनिस्ट्रियल संवर्ग, आशुलिपिक संवर्ग, वाहन चालकों तथा अनुसेवक संवर्ग के कार्मिकों को सम्बन्धित जनपद के जिलाधिकारी कार्यालय में समकक्ष (समान वेतनमान एवं ग्रेड पे) पदों एवं सांख्यिकीय संवर्ग के कार्मिकों को अर्थ एवं संख्या विभाग में समकक्ष (समान वेतनमान एवं ग्रेड पे) पदों को उत्तराखण्ड सरकार के अधिशिष्ट (सरप्लस) कर्मचारियों की समायोजन नियावली, 2011 में विद्यमान व्यवस्थानुसार समायोजित किया जाना प्रस्तावित है।उत्तराखण्ड सरकार के अधिशिष्ट कर्मचारियों की समायोजन नियमावली, 2011 प्रख्यापित की गयी, जिसमें प्राविधान किया गया कि उक्त नियमावली लोक सेवा आयोग के क्षेत्रान्तर्गत पदों के सिवाय अन्य पदों पर लागू होगी। उक्त नियमावली से सहायक निदेशक के 02 पद तथा एवं जिला बचत अधिकारी के 03 पदों का निम्नवत सारणीनुसार अंकित विभागों में समायोजन करने हेतु अनुमोदन प्राप्त किया जाना प्रस्तावित है।

12- उत्तराखण्ड कोषागार अधीनस्थ संवर्ग सेवा (संशोधन) नियमावली 2023 के प्रस्ताव के संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। उत्तराखण्ड कोषागार अधीनस्थ संवर्ग सेवा नियमावली, 2003 में प्रथम संशोधन करते हुए उत्तराखण्ड कोषागार, पेंशन एवं हकदारी अधीनस्थ संवर्ग सेवा नियमावली, 2015 प्रख्यापित की गयी। उक्त नियमावली में राज्य के कोषागारों में नियुक्त / तैनात होने वाले सहायक लेखाकार एवं लेखाकार के नियुक्ति प्राधिकारी पूर्व नियमावली, 2003 के अनुसार सम्बन्धित जनपदों के जिलाधिकारी ही रहे, किन्तु कोषागार, पेंशन एवं हकदारी निदेशालय में तैनात होने वाले सहायक लेखाकार एवं लेखाकार के नियुक्ति प्राधिकारी निदेशक, कोषगार पेंशन एवं हकदारी हो गये, जिसके कारण कोषागार अधीनस्थ संवर्ग का ढांचा जनपद व मुख्यालय दो स्तरों में उक्त वर्णित नियमावली, 2015 के द्वारा विभक्त हो गया। उक्त नियमावली में राज्य के कोषागार के ढांचे के अनुसार लेखाकार से सहायक कोषाधिकारी व उपकोषाधिकारी के पदों पर पदोन्नति की व्यवस्था विद्यमान है, परन्तु मुख्यालय स्तर के ढाँचे के अनुसार सहायक कोषाधिकारी से उपकोषाधिकारी के पदों पर पदोन्नति की व्यवस्था नहीं है। उक्त के अभाव में मुख्यालय स्तर पर उपकोषाधिकारी के पद सृजित होने के उपरान्त भी पात्र सहायक कोषाधिकारियों की इन पदों पर पदोन्नतियां सम्भव नहीं हो पा रही हैं, जिसके कारण उक्त नियमावली में संशोधन किया जाना अपेक्षित है। इसी के दृष्टिगत प्रस्तावित संशोधन में सहायक कोषाधिकारी के पद पर मौलिक रूप से पदोन्नति के आधार पर संयुक्त ज्येष्ठता सूची तैयार किया जाना प्रस्तावित है, जिससे एकीकृत संवर्ग के रूप सहायक कोषाधिकारी से अग्रेत्तर पदोन्नति की व्यवस्था हो सकें।

13- “वन टाईम सेटलमैन्ट स्कीम, 2023-24 लागू किए जाने के संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। जी०एस०टी०लागू होने के उपरान्त निरसित अधिनियमों यथा मूल्य वर्धित कर अधिनियम/प्रवेश कर अधिनियम इत्यादि के अन्तर्गत सृजित बकाया पर देय ब्याज/अर्थदण्ड की माफी हेतु “वन टाईम सेटलमैन्ट स्कीम, 2023-24 “ लागू किए जाने के संबंध में ’वन टाईम सेटलमैन्ट स्कीम, 2023-24 “ मा0 मंत्रिमण्डल के विचारार्थ प्रस्तुत किया गया। इस योजना के अन्तर्गत ऐसे बकायेदार जो मूल बकाया की राशि जमा करना चाहते हैं परन्तु अर्थदण्ड व ब्याज की अत्यधिक देनदारी के कारण उक्त मूल धनराशि को जमा नहीं कर पाते हैं, को ऐसी बकाया जमा करने का अवसर प्रदान किये जाने के उद्देश्य से बकाया पर देय ब्याज / अर्थदण्ड की शत-प्रतिशत की माफी हेतु ’वन टाईम सेटलमेंट स्कीम 2023-24’ जारी की गयी है। यह योजना 01 जुलाई, 2023 से 30 सितम्बर, 2023 तक प्रभावी रहेगी। उक्त योजना को अग्रेत्तर 03 माह बढ़ाये जाने का अधिकार सचिव वित्त विभाग,उत्तराखण्ड शासन को दिया गया है। इस योजना के द्वारा न्यायालय वाद-विवाद ( litigation) कम किया जा सकेगा, विभागीय प्राधिकारियों द्वारा जी०एस०टी० संबंधी विविध कार्यों पर ध्यान केन्द्रित किया जाना सम्भव होगा तथा ब्याज एवं अर्थदण्ड की माफी का लाभ प्राप्त करने हेतु व्यापारी मूल धनराशि जमा करने के लिए प्रेरित होंगे जिससे राजस्व में वृद्धि होगी।
14- राज्य में कैश फ्लो के कुशल प्रबन्धन, ऋण प्रबन्धन एवं वित्तीय प्रबन्धन के विशेषीकृत कार्य हेतु बजट राजकोषीय नियोजन एवं संसाधन निदेशालय, उत्तराखण्ड के अन्तर्गत गठित Debt & Cash Management Cell हेतु पदों के सृजन के सम्बन्ध में। राज्य सरकार अपनी बजट प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए खुले बाजार से भारी उधार लेती है प्रत्येक दीर्घकालिक और अल्पकालिक उधार के परिणाम स्वरूप राज्य के ऊपर आने वाला व्याज दायित्व राज्य के वित्तीय स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। अतः राज्य में कैश फ्लो के कुशल प्रबन्धन ऋण प्रबन्धन व वित्तीय प्रबन्धन के विशिष्ट कार्य हेतु विशिष्ट अनुभव रखने वाले कार्मिकों, जो आर०बी०आई० बैंकिंग सेक्टर आदि का अनुभव रखते हों, की तैनाती राज्य के वित्त विभाग में किये जाने हेतु “ऋण व नकद प्रबन्धन प्रकोष्ठ (Debt & Cash Management Cell )का पुनर्गठन किए जाने के उद्देश्य से 11 अस्थायी पदों का सृजन का निर्णय मा० मंत्रिमण्डल द्वारा लिया गया है। 2- उक्त पदों पर होने वाला व्ययभार विश्व बैंक पोषित UKPFMS परियोजना से किया जायेगा।
15- उत्तराखण्ड विनियोग अधिनियम (निरसन) विधेयक, 2023 को पुरःस्थापित किये जाने के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। अप्रासंगिक कानूनों को समाप्त किये जाने की नीति के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा वर्ष 1950 से 2012 की अवधि के दौरान अधिनियमित विनियोग से सम्बन्धित अधिनियमों को निरसित करने के लिये विनियोग अधिनियम (निरसन) अधिनियम 2016 को अधिनियमित किया गया है। तद्नुसार उत्तर प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 1950 से वर्ष 2000 तक के विनियोग अधिनियमों को “उत्तर प्रदेश निरसन अधिनियम, 2017“ एवं “उत्तर प्रदेश विनियोग अधिनियम (निरसन) अधिनियम, 2018“ द्वारा निरसित किया जा चुका है। उपरोक्त के कम में अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय के 218 विनियोग अधिनियमों एवं उत्तराखण्ड राज्य गठन के उपरान्त के 47 विनियोग अधिनियमों, कुल 265 विनियोग अधिनियमों को विलोपित किये जाने हेतु “उत्तराखण्ड विनियोग अधिनियम (निरसन) विधेयक 2023 को पुरःस्थापित किये जाने का प्रस्ताव है ।

16- उत्तराखण्ड राज्य में माल और सेवा कर अपीलीय अधिकरण की राज्य पीठ गठित किए जाने के संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। केन्द्र सरकार द्वारा वित्त अधिनियम, 2023 के माध्यम से केन्द्रीय माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 109 को प्रतिस्थापित किया गया है, जिसके अन्तर्गत राज्य सरकार के अनुरोध पर जी०एस०टी० परिषद् की सिफारिश पर केन्द्रीय सरकार द्वारा राज्य में जी०एस०टी० अपील अधिकरण (Tribunal) की राज्य पीठ के गठन तथा उसके क्षेत्राधिकार की अधिसूचना जारी की जानी है। इस परिप्रेक्ष्य में राज्य में अपील अधिकरण की राज्य पीठ को देहरादून में गठित करते हुए गठित राज्य पीठ को सम्पूर्ण राज्य का क्षेत्राधिकार दिए जाने से सम्बन्धित अनुरोध जी०एस०टी० परिषद् को प्रेषित किए जाने का प्रस्ताव मा० मंत्रिमण्डल द्वारा अनुमन्य किया गया है।
17- उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950 (अनुकूलन एवं उपान्तरण आदेश 2001) (संशोधन) अधिनियम, 2003 (अधिनियम संख्या 29, वर्ष 2003) दिनांक 15.01.2004 की धारा 154 (4) (3) (क) एवं धारा 154 (4) (3) (ख) में संशोधन के संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। लोक कल्याणकारी अवधारणा के अन्तर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना एवं भारत सरकार / राज्य सरकार की आवास नीति के अनुरूप किफायती आवासीय भवन (Affordable Housing) का लाभ प्रदेश वासियों को प्राप्त हो सके, इस उद्देश्य से भूमि क्रय को अधिनियम की धारा 154 में उल्लिखित प्रयोजनों में सम्मिलित किये जाने के लिए तथा राज्य में खेल गतिविधियों को प्रोत्साहित करने एवं खेल विभाग की नीति के अनुरूप खेल प्रशिक्षण अकादमी, स्टेडियम आदि की स्थापना हेतु भूमि क्रय को प्रयोजन में सम्मिलित किये जाने के लिए अधिनियम की धारा 154 (4) (3) (क) में खण्ड (vi) का अन्तःस्थापन किया जाना प्रस्तावित है।
18- आदत बाजार-गांधी रोड सड़क चौड़ीकरण (सहारनपुर चौक से तहसील चौक तक) हेतु वर्तमान स्थल से आढ़त कारोबारियों एवं अन्य प्रभावित दुकानदारों के विस्थापन हेतु रीवर फन्ट डवलपमेन्ट योजना के लिए ग्राम-ब्राह्मणवाला एम०डी०डी०ए० के प्रबन्धन में सौंपी गयी कुल चिन्हित 7.7493 है0 भूमि का मालिकाना हक / स्वामित्व सःशुल्क अथवा निःशुल्क मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण को हस्तान्तरित जाने के सम्बन्ध में। देहरादून शहर में आदत बाजार से रेलवे स्टेशन के मध्य विद्यमान सड़क की चौडाई मात्र 16 से 18 मीटर होने के कारण निरन्तर ट्रैफिक जाम की समस्या को दृष्टिगत रखते हुए सहारनपुर चौक से तहसील चौक तक 24 मीटर चौड़ी सड़क किये जाने हेतु आदत बाजार स्थित आदत कारोबारियों एवं अन्य प्रभावित दुकानदारों को हरिद्वार बाईपास के समीप ग्राम ब्राह्मणवाला व निरंजनपुर स्थित आर०एफ०डी० परियोजना के लिए एम०डी०डी०ए० के प्रबन्धन में दी गयी 7.74930 भूमि पर विस्थापित किये जाने हेतु उक्त भूमि का मालिकाना हक / स्वामित्व मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण को हस्तान्तरित किया जाना प्रस्तावित है।

19-चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। उत्तराखण्ड नैदानिक स्थापन (रजिस्ट्रीकरण और विनियमन) नियमावली. 2015 (The Uttarakhand Clinical Establishments (Registration and Regulation) Rules, 2015) में नैदानिक स्थापनों के रजिस्ट्रेशन शुल्क का प्रावधान है।नैदानिक स्थापनों के रजिस्ट्रेशन शुल्क में वाहय रोगी उपचार (Out patient Care) / डे केयर सेन्टर तथा अन्तः रोगी उपचार (in patient Care) हेतु 0-50 शैय्या हेतु रजिस्ट्रेशन शुल्क न लिये जाने का निर्णय लिया गया है। अन्तः रोगी उपचार (in patient Care) हेतु 51 से अधिक शैय्या हेतु रजिस्ट्रेशन शुल्क में लगभग 90 प्रतिशत तक की कमी की गयी है। नैदानिक स्थापन हेतु रजिस्ट्रेशन किया जाना अनिवार्य है। रजिस्ट्रेशन शुल्क में उक्तानुसार संशोधन किये जाने से नये चिकित्सालय खुलने व अधिक चिकित्सालयों का रजिस्ट्रेशन होने की संभावना है, जिससे आम जनमानस को लाभ प्राप्त होगा।20- मानसिक स्वास्थ्य देख-रेख अधिनियम, 2017 उत्तराखण्ड में यथावत् अंगीकृत किया गया है, के क्रियान्वयन हेतु राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण में नामित / चयनित विशेषज्ञों द्वारा तैयार किये गये राज्य मानसिक स्वास्थ्य देख-रेख नियमों, उत्तराखण्ड राज्य मानसिक स्वास्थ्य विनियम, मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्तियों के अधिकार, मानसिक स्वास्थ्य स्थापनों एवं नशा मुक्ति केन्द्रों की स्थापना एवं संचालन हेतु न्यूनतम मानक राज्य में प्रख्यापित किये जाने है। मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम-2017 की धारा-121 (2) के आलोक में उक्त प्रस्तावों पर भारत सरकार से पूर्वानुमोदन प्राप्त कर लिया गया है। अधिनियम के अध्याय-V में उल्लिखित मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्तियों के अधिकारों को In Toto स्वीकार किया गया है, में ऐसे व्यक्तियों की देख-रेख चिकित्सकीय सुविधा तथा पुनर्वास सेवाएं प्रदान करने और ऐसे व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा, प्रचार और पूर्ति इत्यादि है। मानसिक स्वास्थ्य स्थापनों एवं नशा मुक्ति केन्द्रों के अनंतिम पंजीकरण हेतु रू० 2,000/- तथा अन्तिम पंजीकरण हेतु रू० 20,000/- निर्धारित करते हुये इन संस्थापनों / केन्द्रों के संचालन हेतु न्यूनतम मानक निर्धारित किये गये है, में मुख्य रूप से परिसर में रहने की परिस्थितियां स्वच्छता, भोजन, स्वीकृत बिस्तरों के अनुसार न्यूनतम आवश्यक स्टाफ अनुपात, भर्ती मरीजों के अधिकारों का संरक्षण, नैदानिक सुविधाएं, संचार और मनोरंजन, पुनर्वास केन्द्रों का निरीक्षण. दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार आदि के सम्बन्ध में मानकों का निर्धारण किया गया है, को राज्य में प्रख्यापित किया जाना है।
21- उत्तराखण्ड सरकार द्वारा प्रदेश में प्राकृतिक कृषि को प्रोत्साहित करने हेतु राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन योजनान्तर्गत विभिन्न कार्यमदों में गैप फन्डिंग हेतु ‘मुख्यमंत्री प्राकृतिक कृषि योजना’ का संचालन किये जाने के संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। केन्द्र घोषित योजना ‘राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन’ के अन्तर्गत मदवार 50 है० के कलस्टर पर 50 कृषकों के लिए ही धनराशि उपलब्ध करायी गयी है। उत्तरखण्ड राज्य लघु एवं सीमान्त कृषक अधिक होने के कारण 50 है0 के कलस्टर पर औसत 90 कृषक सम्मिलित है। इस प्रकार लगभग 40 कृषक प्रतिकलस्टर का गैप है। जिस हेतु प्रस्तावित मुख्यमंत्री प्राकृतिक कृषि योजना से गैप फन्डिंग की जायेगी। योजना के अन्तर्गत 6400 है क्षेत्रफल प्राकृतिक कृषि प्रणाली के अन्तर्गत आच्छादित होगा। जिसके अन्तर्गत उत्पादन लागत में कमी होने के साथ-साथ मृदा संरक्षण, पर्यावरण के अनुकूल कृषि एवं एकीकृत कृषि पशुपालन मॉडल को बढ़ावा मिलेगा। लगभग 8000 मै0टन प्राकृतिक उत्पादों को उत्पादन होगा। रसायन मुक्त उत्पादों के उत्पादन एवं उपयोग में स्वास्थ्य सुधार के साथ-साथ कृषकों की आय में वृद्धि होगी।
22- कृषि एवं कृषक कल्याण विषय- उत्तराखण्ड सरकार द्वारा प्रदेश में गंगा के किनारे 5 कि0मी0 के कोरिडोर में प्राकृतिक कृषि को प्रोत्साहित करने हेतु ष्नमामि गंगे प्राकृतिक कृषि कोरिडोर योजनाष् का संचालन किये जाने के संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। नमामि गंगे प्राकृतिक कृषि कोरिडोर योजना के अन्तर्गत गंगा के किनारे 05 कि० मी० के कोरिडोर में 1950 है0 क्षेत्रफल प्राकृतिक कृषि प्रणाली के अन्तर्गत आच्छादित होगा, जिससे की कृषि में प्रयोग किये जाने वाले रसायनों से होने वाले जल प्रदूषण से गंगा नदी के जल को प्रदूषित होने से रोका जा सकेगा। योजना के अन्तर्गत उत्पादन लागत में कमी होने के साथ-साथ मृदा संरक्षण, पर्यावरण के अनुकूल कृषि एवं एकीकृत कृषि पशुपालन मॉडल को बढ़ावा मिलेगा। किसानों के खेत पर ही कृषि निवेशों के उत्पादन एवं प्रयोग हेतु कृषकों में जागरूकता आयेगी। लगभग 2500 मै0टन प्राकृतिक उत्पादों का उत्पादन होगा। राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय बाजारों के लिए प्राकृतिक कृषि उत्पादों के लिए मानक, प्रमाणीकरण और ब्रांडिंग विकसित होने से कृषकों की आय में वृद्धि होगी।
23- भैषज विकास इकाई में वर्गीकरण पर्यवेक्षक पद का ग्रेड वेतन रू० 1900/- से ग्रेड वेतन रू० 2400/- में उच्चीकरण के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। वित्त विभाग के शासनादेश संख्या-217 / 31 अक्टूबर 2017 में वेतन समिति द्वारा की गयी संस्तुति के क्रम में भेषज विकास इकाई में वर्गीकरण पर्यवेक्षक पद का ग्रेड वेतन रु. 1900 से रू. 2400 (राजकीय पर्यवेक्षक व जड़ी-बूटी पर्यवेक्षक के समान में उच्चीकृत किये जाने का प्रस्ताव है।
24- आढत बाजार के कारोबारियों तथा अन्य प्रभावितों के विस्थापन हेतु ग्राम ब्राह्मणवाला में एम०डी०डी०ए० के प्रबन्धन में सौंपी गयी कुल 7.7493 हेक्टेयर भूमि का भू-उपयोग आवासीय एवं पार्क से व्यावसायिक में निःशुल्क परिवर्तित किये जाने तथा नवीन स्थल पर आढ़त बाजार को स्थानांतरित किये जाने हेतु नीति निर्धारित किये जाने के संबंध में। आढत बाजार रेलवे स्टेशन के मध्य विद्यमान सड़क की चौड़ाई 16 से 18 मीटर है। यातायात की समस्या के समाधान हेतु इस सड़क को 24.0 मीटर चौड़ा किया जाना है। आढत बाजार-गांधी रोड सड़क चौड़ीकरण (सहारनपुर चौक से तहसील चौक तक) हेतु वर्तमान स्थल से आढत कारोबारियों एवं अन्य प्रभावित दुकानदारों के विस्थापन हेतु रीवर फ्रन्ट डेवलपमेन्ट योजना के लिए ग्राम-ब्राह्मणवाला में एम०डी०डी०ए० के प्रबन्धन में सौंपी गयी कुल 7.7493 हे० भूमि पर स्थानांतरित किया जायेगा। इस स्थल का महायोजना में भू-उपयोग आवासीय एवं पार्क से व्यवसायिक भू-उपयोग में परिवर्तित किया जाना है तथा आढत व्यवसायियों के पुनर्वास हेतु नीति भी प्रख्यापित की जानी है। भू-उपयोग में परिवर्तन हेतु शुल्क की धनराशि रू0 33.41 करोड में छूट प्रदान की जानी है, जबकि आढ़त बाजार-तहसील चौक सड़क चौड़ीकरण से प्रभावित होने वाली परिसम्पत्तियों / भूमि की राज्य सरकार / लोक निर्माण विभाग के पक्ष में रजिस्ट्री विलेख निष्पादन हेतु देय स्टाम्प / रजिस्ट्रेशन शुल्क की धनराशि रू0 3.31 करोड़ की छूट वित्त विभाग द्वारा प्रदान कर दी गयी है। ब्राह्मणवाला में भूमि का मालिकाना हक आवास विभाग के पक्ष में किये जाने की कार्यवाही राजस्व विभाग द्वारा की जानी हैं।
25- वर्गीकृत कलस्टर-2 अंतर्गत राज्य के जनपद चम्पावत एवं पिथौरागढ़ के अधीन 07 नगर निकायों (टनकपुर, बनबसा, धारचूला, डीडीहाट, पिथौरागढ़, बेरीनाग तथा गंगोलीहाट ) एवं गैरसैंण विनियमित क्षेत्र की जी०आई०एस० आधारित महायोजना, योजना तैयार किये जाने हेतु वास्तुकला विद्यालय, भोपाल द्वारा महायोजना परामर्शी सेवायें प्रदान किये जाने हेतु एकल स्त्रोत्र से अनुबन्ध निष्पादन कराये जाने के संबंध में।

Ease of Doing Bussiness परियोजना के अंतर्गत Implementation of State Business Reform action Plan (SBRAp) and District Level Business Reform Action Paln(DL&BRAP) के अधीन राज्य में 07 कलस्टर हेतु कुल 63 नगर निकायों की जी०आई०एस० आधारित महायोजना तैयार की जानी है। महायोजना परामर्शदाताओं के चयन हेतु निविदा का प्रकाशन किये जाने पर आर०एफ०पी० में वर्णित प्राविधानों तथा उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति नियमावली में दिये गये व्यवस्थानुसार 06 परामर्शदाताओं का चयन किया गया है तथा कलस्टर-02 के अन्तर्गत जिसमें चम्पावत व पिथौरागढ़ की कुल 07 नगर निकायों तथा गैरसैंण विनियमित क्षेत्र की जी०आई०एस० आधारित महायोजना समिलित है) हेतु किसी भी निविदाकर्त्ता द्वारा निविदा प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं किया गया। प्रश्नगत वर्गीकृत कलस्टर- 02 अंतर्गत राज्य हेतु जनपद चम्पावत एवं पिथौरागढ अधीन 07 नगर निकायों की महायोजना एवं गैरसैंण विनियमित क्षेत्र की जी०आई०एस० आधारित महायोजना, एकल स्त्रोत्र से अनुबन्ध निष्पादन कराये हेतु वास्तुकला विद्यालय, भोपाल से महायोजना परामर्शी सेवायें प्राप्त किये जाने का प्रस्ताव किया गया है।26- उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन 2021-22 विधान सभा पटल पर प्रस्तुत किये जाने के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। राज्य में विभागों द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं को जनसामान्य को समयबद्ध रूप से प्रदान किये जाने हेतु राज्य सरकार निरन्तर प्रयासरत है। इस हेतु उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार अधिनियम, 2011 के अन्तर्गत उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार आयोग का गठन किया गया है। उक्त अधिनियम की धारा 18 (1) में प्राविधानित है कि राज्य सरकार, धारा 17 की उपधारा (1) के खण्ड (घ) (ड.) और (च) के अधीन आयोग द्वारा की गई संस्तुतियों पर विचार करेगा और आयोग को 30 दिन के भीतर अथवा ऐसे अधिक समय पर, जैसा आयोग के साथ परामर्श कर अभिनिश्चित किया जाय, की कार्यवाही से आयोग को सूचना भेजेगा। यदि सरकार यह अभिनिश्चित् करे कि आयोग की किसी संस्तुति पर अनुपालन नहीं किया जाना है तो आयोग की संस्तुतियों पर कार्यवाही न किए जाने के लिए कारणों को संसूचित करेगी। अग्रेत्तर धारा 18(2) — में यह उल्लिखित है कि आयोग धारा 17 के अधीन उसके द्वारा की गई संस्तुतियों पर की गई कार्यवाही और कार्यवाही न करने के कारणों सहित, यदि कोई हो, एक वार्षिक रिपोर्ट तैयार करेगा। राज्य सरकार, इस रिपोर्ट की प्रतियां उत्तराखण्ड विधान सभा के पटल पर रखेगी। उक्त के दृष्टिगत सेवा का अधिकार आयोग द्वारा तैयार वर्ष 2021-22 का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जा रहा है।

27- सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आई०टी०डी०ए०) के ढाँचें के सम्बन्ध में निर्गत शासनादेश संख्या-432/XXXIV-1 / 2022-58/2021, दिनांक- 11.05.2022 को अतिक्रमित कर नवीन ढोंचें की स्वीकृति के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुयी क्रान्ति से इस क्षेत्र के निरन्तर हो रहे विकास के फलस्वरूप विभागीय कार्यभार बढ़ने के दृष्टिगत सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आई०टी०डी०ए०) के ढाँचे के सम्बन्ध में निर्गत शासनादेश संख्या-432 /XXXIV-1 / 2022-58/2021, दिनांक- 11.05.2022 को अतिक्रमित करते हुये आई०टी०डी०ए० के 36 पदों के प्रशासनिक ढाँचे में कतिपय पदों का नाम परिवर्तन एवं 13 नवीन पद सृजित करते हुये 49 पदों का नवीन ढाँचा स्वीकृत किया जाना तथा मुख्य सचिव महोदय की अध्यक्षता में गठित आई०टी०डी०ए० के शासी निकाय (Governing Body)के निर्णय के उपरान्त, उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति नियमावली में उपबंधित प्राविधानों के आलोक में पी०एम०सी० के स्थान पर आई०टी०डी०ए० अन्तर्गत विभिन्न सेवाओं को कन्सल्टेन्सी के माध्यम से लिया जाना प्रस्तावित है ।

28- उत्तराखण्ड वैश्विक निवेशक सम्मेलन-2023 के आयोजन के संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। राज्य में निवेश प्रोत्साहन तथा रोजगार सृजन के उद्देश्य से ‘उत्तराखण्ड वैश्विक निवेशक सम्मेलन-2023’ माह दिसम्बर 2023 में आयोजित किया जाना प्रस्तावित है। उत्तराखण्ड राज्य को एक आकर्षक वहनीय निवेश स्थान के रूप में स्थापित करने के लिये इस प्रकार का निवेशक सम्मेलन किया जाना लाभदायक सिद्ध होगा। मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड शासन की अध्यक्षता में उच्च अधिकार प्राप्त समिति की बैठक दिनांक 30.05. 2023 में आयोजन के सुचारू एवं सफल क्रियान्वयन हेतु उत्तराखण्ड ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट, 2023 के समस्त कार्यों एवं सम्भावित व्यय भार रु0 67.40 करोड के संबंध में मंत्रिमण्डल द्वारा सहमति व्यक्त की गयी है। उत्तराखण्ड वैश्विक निवेशक सम्मेलन-2023 का कर्टन रेजर कार्यक्रम माह जुलाई, 2023 को दिल्ली एवं हरिद्वार में होगा रोड-शो देश के प्रमुख शहरों, नई दिल्ली. अहमदाबाद, मुम्बई, चण्डीगढ़, चौन्नई, बैंगलोर में किया जायेगा। एमबेस्डर राउण्ड टेबल कॉन्फ्रेंस नई दिल्ली में किया जायेगा। दुबई एवं सिंगापुर में भी रोड-शो आयोजित किया जायेगा। मुख्य आयोजन देहरादून में किया जायेगा।

29- कृषि एवं उद्यान विभाग के क्रियात्मक एकीकरण के संबंध में महानिदेशक का पद सृजित किये जाने के संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। प्रस्ताव कृषि एवं उद्यान विभाग के क्रियात्मक एकीकरण हेतु महानिदेशक, कृषि एवं उद्यान विभाग के पद का सृजन करते हुए उक्त पद पर भारतीय प्रशासनिक सेवा संवर्ग के अपर सचिव से अन्यून स्तर के अधिकारी को तैनात किये जाने का प्रस्ताव है। महानिदेशक कृषि एवं कृषक कल्याण के प्रशासनिक एवं वित्तीय नियंत्रण में निदेशक कृषि एवं निदेशक उद्यान अपने-अपने विभाग हेतु पृथक-पृथक रूप से कार्य करते रहेंगे।
30- उत्तराखण्ड, भूमि पर अतिक्रमण (निषेध) अध्यादेश, 2023 के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। प्रदेश के अन्तर्गत राजकीय / सार्वजनिक / निजी परिसम्पत्तियों पर अवैध अतिक्रमण / अनाधिकृत कब्जा होने की घटनायें समय-समय पर संज्ञान में आती रही हैं। इस संबंध में प्रभावी अंकुश लगाये जाने तथा भूमि के प्रबन्धन और संरक्षण को सशक्त किये जाने के लिए प्रदेश के अन्तर्गत ऐसी राजकीय / सार्वजनिक / निजी परिसम्पत्तियों पर अवैध अतिक्रमण / अनाधिकृत कब्जों पर रोक लगाये जाने हेतु उत्तराखण्ड, भूमि पर अतिक्रमण (निषेध) अध्यादेश, 2023 को लाया जाना प्रस्तावित है।
31- उत्तराखण्ड माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 (अधिनियम संख्या 06 वर्ष 2017) में संशोधन के संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। उत्तराखण्ड माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 में संशोधन किए जाने हेतु उत्तराखण्ड माल और सेवा कर (संशोधन) अध्यादेश, 2023 मा0 मंत्रिमण्डल के सम्मुख विचारार्थ प्रस्तुत किया गया है। प्रस्तावित संशोधन व्यापार सुविधा और सरलीकरण उपायों से संबंधित है। कतिपय ऐसे परिवर्तन भी प्रस्तावित है जिनका उद्देश्य करदाताओं से अनुपालन सुनिश्चित करवाना है। इसके अन्तर्गत विवरणी दाखिल नहीं करने वाले पंजीकृत व्यक्तियों के कर निर्धारण आदेश की तामीली के 30 दिन के भीतर विवरणी दाखिल किये जाने की दशा में संबंधित आदेश वापस लिये जाने की समयावधि को बढ़ाकर 60 दिन किये जाने का प्रस्ताव है। 2- केन्द्र सरकार द्वारा राज्य में जीएसटी अपील अधिकरण की राज्य पीठ का गठन किया जाना है। इस प्रकार गठित जीएसटी अपील अधिकरण,राज्य माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 के अन्तर्गत अपीलीय / रीविजनल ऑथोरिटी द्वारा पारित आदेश के विरुद्ध अपील सुनवायी हेतु भी अपील अधिकरण के रूप में कार्य किए जाने का प्राविधान प्रस्तावित किया गया है।ई-कॉमर्स ऑपरेटर द्वारा अपने पोर्टल के माध्यम से की जाने वाली बिक्री के संबंध में कतिपय प्रतिबंध लगाए गए हैं यदि ई-कॉमर्स ऑपरेटर द्वारा प्रतिबंधों का अनुपालन नहीं किए जाने की दशा में अर्थदण्ड का प्रावधान किया गया है। वर्तमान में अधिनियम की धारा 132 में कतिपय अपराधों के लिए दण्ड का प्राविधान है। संशोधन द्वारा छोटे अपराधों के decriminalization के परिप्रेक्ष्य में अधिनियम में वर्णित कतिपय अपराधों तथा ऐसे अपराध करने पर मिलने वाली सजा को समाप्त किया जाना प्रस्तावित है।
32- सेवाप्रदाता विभागों के द्वारा उपयोगकर्ता शुल्क (User Charges) की दरों के पुनरीक्षण के संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। दिनांक 22 से 24 नवम्बर, 2022 तक मसूरी में आयोजित चिन्तन शिविर में विभिन्न सेवा प्रदाता विभागों द्वारा जनसाधारण को प्रदत्त की जा रही सेवाओं हेतु उपयोगकर्ता शुल्क को वर्तमान मुद्रास्फीति दर से जोड़े जाने के संबंध में विचार किया गया। विभागों द्वारा नियमित अन्तराल पर उपयोगकर्ता शुल्क की दरों का पुनरीक्षण न किए जाने तथा तदोपरान्त 03 से 05 वर्ष के अन्तराल पर एक साथ उपयोगकर्ता शुल्क में बढोतरी किए जाने से वह एकमुश्त अधिक दिखाई देती है तथा इसका जनसामान्य द्वारा विरोध होता है। तत्क्रम में प्रत्येक सेवा प्रदाता विभाग द्वारा जनसामान्य को उपलब्ध कराई जा रही सेवाओं हेतु उपयोगकर्ता शुल्क को बाजार मुद्रास्फीति से जोड़े जाने हेतु प्रत्येक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम 05 (पांच)प्रतिशत की बढोतरी का प्रस्ताव है। यदि किसी विभाग द्वारा न्यूनतम 5 प्रतिशत से कम वृद्धि का औचित्यपूर्ण प्रस्ताव हो तो संबंधित विभाग द्वारा अपने स्तर से मा. मंत्रिमण्डल का अनुमोदन प्राप्त कर किया जा सकता है।

33- महिला कार्मिकों का कारखाना अधिनियम, 1948 के प्रतिबंधात्मक प्राविधानों के परिप्रेक्ष्य में रात्रि पाली में सांय 07:00 से प्रातः 06:00 बजे तक कार्य हेतु छूट प्रदान किये जाने के संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। महिलाओं को औद्योगिक प्रतिष्ठानों में कार्य करने हेतु अधिक से अधिक अवसर प्रदान करते हुए, उनकी कार्य क्षमता को प्रोत्साहित किये जाने हेतु महिला कर्मकारों को कारखाना अधिनियम, 1948 में निहित प्रावधानों के अन्तर्गत रात्रि पाली में सांय 07:00 से प्रातः 06:00 बजे तक कार्य करने की छूट प्रदान की गयी थी। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कार्य स्थल पर महिलाओं की सुरक्षा एवं सुविधाओं के दृष्टिगत नवीन सिरे से महिला कर्मकारों को रात्रि पाली में कार्य करने की छूट प्रदान की जानी है। महिला कर्मकारों को रात्रि पाली में सांय 07:00 बजे से प्रातः 06:00 बजे तक कार्य करने की छूट प्रदान करते हुये उनकी सुरक्षा को प्रभावी बनाते हुये, रात्रि पाली की परिवहन व्यवस्था के अन्तर्गत वाहन में कैमरे, GPS, व पैनिक बटन की व्यवस्था अनिवार्य करना, ड्राईवर व वाहन का पुलिस सत्यापन तथा रात्रि पाली में कुल नियोजित कर्मकारों में महिला कार्मिकों की संख्या न्यूनतम 2/3 के स्थान पर 20 किये जाने संबंधी प्राविधान किये गये है।
34- उत्तराखण्ड, भूमि पर अतिक्रमण (निषेध) अध्यादेश, 2023 के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। प्रदेश के अन्तर्गत राजकीय / सार्वजनिक / निजी परिसम्पत्तियों पर अवैध अतिक्रमण / अनाधिकृत कब्जा होने की घटनायें समय- समय पर संज्ञान में आती रही है। इस संबंध में प्रभावी अंकुश लगाये जाने तथा भूमि के प्रबन्धन और संरक्षण को सशक्त किये जाने के लिए प्रदेश के अन्तर्गत ऐसी राजकीय / सार्वजनिक / निजी परिसम्पत्तियों पर अवैध अतिक्रमण / अनाधिकृत कब्जो पर रोक लगाये जाने हेतु उत्तराखण्ड, भूमि पर अतिक्रमण (निषेध) अध्यादेश, 2023 को लाया जाना प्रस्तावित है।

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