उत्तराखंड : खटीमा के सूरज जोशी का संघर्ष और सफलता युवाओं के लिए प्रेरणा


खटीमा के सूरज जोशी ने संघर्ष को बनाया सफलता की सीढ़ी
खटीमा :सपनों की उड़ान में चाहे कितनी भी चुनौतियां आएं तो हार नहीं माननी चाहिए—इस कहावत को खटीमा निवासी सूरज जोशी ने सच कर दिखाया है। जगदीश चंद्र जोशी के पुत्र सूरज, जिनका सपना था देश की सेवा करना, उन्होंने अपने मजबूत इरादों और न थकने वाले जुनून से मिसाल कायम की है।साल 2021 में सूरज का चयन भारतीय वायु सेना में एयरमैन पद पर हुआ था। उन्हें जॉइनिंग लेटर भी प्राप्त हो चुका था, लेकिन कोविड-19 महामारी के प्रभाव और उसके बाद लागू हुई अग्निवीर योजना के कारण उनकी नियुक्ति, हजारों अन्य उम्मीदवारों की तरह, निरस्त कर दी गई। यह समाचार सूरज के लिए बेहद निराशाजनक था, लेकिन उन्होंने हार मानने की बजाय इसे अपने जीवन का मोड़ बना लिया।
अपने माता-पिता और बहनों के अटूट समर्थन और प्रेरणा से उन्होंने एक नई राह चुनी—सिविल सेवाओं की। सूरज ने एक वर्ष तक कठोर परिश्रम और समर्पण के साथ पढ़ाई की और केंद्र सरकार की पांच प्रतिष्ठित प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता अर्जित की।
आज सूरज जोशी भारत सरकार के गृह मंत्रालय में लेखाकार (Accountant) के पद पर कार्यरत हैं और अपने लक्ष्य की नई उड़ान भर चुके हैं। उनका कहना है कि इस यात्रा ने उनके अंदर दृढ़ता, अनुशासन और पारिवारिक मूल्यों को और मजबूत किया है।
सूरज की यह कहानी उन तमाम युवाओं के लिए प्रेरणा है जो मुश्किलों से घबराते हैं। उन्होंने साबित कर दिया कि एक रास्ता बंद हो तो हौसलों से नया रास्ता जरूर बनता है।



