उत्तराखंड-(गजब कर दिया) यहां इस किसान ने हल्दी के एक पेड़ से किया 24 किलो उत्पादन

ख़बर शेयर करें


हल्द्वानी-आपने कई बार देखा होगा कि काश्तकारों द्वारा उन्नत तकनीक का सहारा और खुद के मैथड से उन्नत उत्तपादन कर मिशाल कायम की है क्या आपने कभी सोचा है कि एक हल्दी के पौधे में 24 किलो हल्दी हो सकती है एक पल के लिए शायद आपको भी मजाक लगे लेकिन ऐसा हुवा है। हल्द्वानी के प्रगतिशील किसान ने यह चमत्कार करते हुए एक हल्दी के पौधे से 24 किलो हल्दी का उत्पादन किया है। यही नहीं किसान को खुदाई करने के लिए तीन मजदूरों को बुलाना पड़ा और सबसे खास बात यह है कि यह हल्दी पूरी तरह से जैविक है यानी किसी प्रकार के रासायनिक खाद को मिलाएं बिना इतनी बड़ी मात्रा में एक पेड़ में हल्दी का उत्पादन किया गया है।हल्द्वानी के गौलापार क्षेत्र में रहने वाले प्रगतिशील किसान नरेंद्र मेहरा ने नरेंद्र 9 गेहूं की नई प्रजाति विकसित कर अपना नाम कमाया है। जिसे सरकार द्वारा पेटेंट भी किया गया है। अपनी खेती किसानी के लिए देश भर में मशहूर नरेंद्र मेहरा ने एक और चमत्कार किया है जिसमें उन्होंने हल्दी के एक पौधे से 24 किलो हल्दी का उत्पादन किया है। जिसे देखकर हर कोई हैरान है आइए जानते हैं नरेंद्र मेहरा ने ऐसा क्या किया कि एक हल्दी के पेड़ से ही 24 किलो हल्दी उत्पादन हुआ।गौलापार क्षेत्र के प्रगतिशील किसान नरेंद्र मेहरा ने विशेष प्रकार के हल्दी के पौधे को रिग पिट मेथड से अपने खेत में लगाया। और 2 साल बाद जब उन्होंने हल्दी के पौधे की खुदाई की तो उन्हें जड़े बहुत बड़ी दिखाई दी। सहायता के लिए उन्होंने तीन मजदूरों की सहायता से हल्दी के कंद को जमीन से बाहर निकाला और जब हल्दी के कंद का वजन नापा गया तो वह 24 किलो का निकला। किसान नरेंद्र मेहरा के मुताबिक उनके हल्दी का पौधा पूरी तरह से जैविक विधि से लगाया गया है। अब वह इस प्रजाति को आगे विकसित करने जा रहे हैं। जिसके लिए कृषि वैज्ञानिकों से संपर्क कर इस हल्दी के प्रजाति को पेटेंट कराएंगे ताकि देश में हल्दी पैदा करने वाले किसानों को ज्यादा से ज्यादा मुनाफा हो सके।नरेंद्र मेहरा के मुताबिक रिंग पिट विधि से उगाई जाने वाली फसल में खेत की जुताई करने करने की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें मशीन या कृषि औजारों से कुछ दूरी पर रिंग आकर का गड्ढा तैयार कर उसमें पौधा लगाया जाता है। यहां तक कि उन पौधों में कंपोस्ट खाद या गोबर की खाद के अलावा अन्य जैविक खाद डाली जाती है जिसके बाद पौधा लगाया जाता है। अब तक कई प्रकार के पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके नरेंद्र मेहरा की यह चमत्कारी खोज आगे चलकर किसानों की आय बढ़ाने के लिए काफी लाभकारी हो सकती है।

Ad Ad