उत्तराखंड:स्वास्थ्य विभाग ने यात्रा मार्ग पर स्वास्थ्य सेवाओं की ऐसी प्रभावशाली व्यवस्था की है, जिसके तहत अब तक 5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य जांच (स्क्रीनिंग) की


उत्तराखण्ड स्वास्थ्य विभाग ने चारधाम यात्रा 2025 के दौरान संभावित स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने के लिए व्यापक तैयारियां की हैं। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशन में स्वास्थ्य विभाग ने यात्रा मार्ग पर स्वास्थ्य सेवाओं की ऐसी प्रभावशाली व्यवस्था की है, जिसके तहत अब तक 5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य जांच (स्क्रीनिंग) की जा चुकी है।
स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि चारधाम यात्रा में प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं, जिनमें बड़ी संख्या में वृद्ध, हृदय व सांस रोगियों के अलावा पहाड़ी क्षेत्र में पहली बार आने वाले लोग भी होते हैं। इनके लिए ऊंचाई, ठंड और ऑक्सीजन की कमी स्वास्थ्य संबंधी गंभीर जोखिम बन सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए इस बार स्वास्थ्य सेवाओं को त्रिस्तरीय स्तर पर सशक्त बनाया गया है।
डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि राज्य सरकार तकनीक, विशेषज्ञता और मानव संसाधन तीनों पर समांतर रूप से कार्य कर रही है। रुद्रप्रयाग, चमोली और उत्तरकाशी जैसे चारधाम जिलों में इस बार 49 स्थायी स्वास्थ्य केंद्र और 20 मेडिकल रिलीफ पोस्ट (MRP) को सक्रिय किया गया है। ट्रांजिट जिलों–हरिद्वार, देहरादून, टिहरी और पौड़ी में भी मजबूत स्वास्थ्य व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं। यात्रा प्रारंभ बिंदुओं पर 57 स्क्रीनिंग कियोस्क लगाए गए हैं, जिनमें हरिद्वार और ऋषिकेश में 2-2, विकासनगर में 2 और पौड़ी के कालियासौड़ में 1 नया स्क्रीनिंग सेंटर जोड़ा गया है।
केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु इस बार एक 17 बेड का नया अस्पताल भी सेवा में लाया गया है। 31 विशेषज्ञ डॉक्टर, 200 मेडिकल ऑफिसर, 381 पारा-मेडिकल स्टाफ यात्रा मार्ग पर तैनात किए गए हैं। इसके अलावा प्रति रोस्टर 24 अतिरिक्त मेडिकल ऑफिसर (कुल 336) 35 पारा-मेडिकल स्टाफ (कुल 420) भी शामिल हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती में 47 विशेषज्ञ राज्य स्वास्थ्य सेवा से, 13 विशेषज्ञ भारत सरकार से, और 5 विशेषज्ञ निजी मेडिकल कॉलेजों से लिए गए हैं।
अब तक की गई स्क्रीनिंग में कई श्रद्धालु हाई ब्लड प्रेशर, सांस संबंधी समस्याएं या अन्य स्वास्थ्य स्थितियों से ग्रस्त पाए गए हैं। करीब 29 श्रद्धालुओं को आगे यात्रा न करने की सलाह देकर उन्हें सुरक्षा के दृष्टिकोण से वापस भेजा गया। वहीं, 369 श्रद्धालुओं को एंबुलेंस से और 33 को हेली एंबुलेंस सेवा से रेफर कर इलाज के लिए भेजा गया।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने केवल मेडिकल स्टाफ ही नहीं, बल्कि होटल, धर्मशाला स्टाफ, खच्चर चालकों और कुलियों को भी प्रशिक्षित किया है ताकि वे हाई रिस्क लक्षणों को पहचान सकें और समय पर रेफरल सुनिश्चित कर सकें। साथ ही, हाइपोथर्मिया जैसे जोखिम से बचाव हेतु भी विशेष जागरूकता अभियान चलाया गया है।
“ई-स्वास्थ्यधाम” पोर्टल के माध्यम से स्वास्थ्य डेटा की निगरानी और आपात स्थिति की त्वरित प्रतिक्रिया संभव हो पाई है। इसके लिए चारधाम जिलों को 50 टैबलेट दिए गए हैं जिससे सभी स्क्रीनिंग और मेडिकल रिलीफ पोस्ट पर डेटा डिजिटल रूप से संकलित हो रहा है। 13 भाषाओं में तैयार पर्चे, होर्डिंग्स और जानकारी संबंधित IEC सामग्री को स्क्रीनिंग प्वाइंट्स और होटलों में वितरित किया गया है ताकि हर राज्य से आने वाले तीर्थयात्री जानकारी से लाभान्वित हो सकें।
यात्रा मार्ग पर 154 एंबुलेंस तैनात हैं, जिनमें 82 स्वास्थ्य विभाग की और 72 “108 NAS” सेवा की एंबुलेंस हैं। इस वर्ष पहली बार हेली एंबुलेंस सेवा को भी जोड़ते हुए इसे एम्स ऋषिकेश के सहयोग से संचालित किया जा रहा है, जिससे अत्यधिक गंभीर मरीजों को तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधा मिल सके।



