उत्तराखंड:कुमाऊं की काशी बागेश्वर बागनाथ मंदिर परिसर से शिवरात्रि पर्व पर कुछ ऐसे उठती है पारंपरिक सतराली की होली,देखिए शानदार वीडियो सतराली की खड़ी होली का वीडियो

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बागेश्वर:उत्तराखंड में शिवरात्रि पर्व के साथ ही होली की धूम देखने को मिलने लगी है ।कुमाऊं की काशी बागेश्वर में अल्मोड़ा जिले के ताकुला के सात गावों की होली बागनाथ मंदिर पहुंची और शिव धाम से पारंपरिक होली का शुभारंभ भी देखने को मिला।

देव भूमि उत्तराखंड को यूं ही देवों की भूमि नहीं कहा गया है ।क्योंकि देवभूमि में हर त्योहार को अलग अंदाज में तो मनाया ही जाता है और इसका शुभारंभ भी देवालयों से ही किया जाता है ।आज हम बात कर रहे हैं होली की वैसे तो देश के अन्य हिस्सों में अभी होली पर्व के कुछ दिन शेष हैं लेकिन उत्तराखंड के पहाड़ों में होली का शुभारंभ शिवरात्रि से शुरू हो गया है बात करें परंपरा की तो कुमाऊं की काशी बागेश्वर में वर्षों से चल रही परंपरा को आज भी संजोया गया है यहां शिवरात्रि के दिन अल्मोड़ा जिले के ताकुला के आस पास के 7गावों की होली बागनाथ मंदिर पहुंचती है इसे शतराल की होली भी कहा जाता है ये सात गांव हैं थापला, पनेर, ताकुला, खाड़ी, लोहना, कांडे और कोतवाल गांव इन गावों से होलियार यहां पहुंचते है और बागनाथ मंदिर परिसर में होली गायन कर भगवान शंकर को होली खेलने का आग्रह करते हैं ,और इस भूमि से ही अपनी होली का शुभारंभ भी करते है ये परंपरा वर्षों से चली आ रही है जिसके बाद ही ये ग्रामीण अपने गावों में होली आयोजन करते हैं ।वहीं बागनाथ धाम में इस होली के आयोजन से उत्तराखंड से दूर बाहरी राज्य में रहने वाले प्रवासी जब यहां पहुंचे और होली के इस अदभुद नजारे को देखा तो वो भी देवभूमि की इस अनूठी परंपरा से गदगद हो उठे और अपनी इस परंपरा के कायल हो गए देवभूमि उत्तराखंड की परंपरा ही है जो इसे अन्य से अलग झलकाती हैं यहां की ये सांस्कृतिक धार्मिक विरासत ही हैं जिनके चलते इस राज्य को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है।इस प्रकार अगर बात की जाए बागेश्वर जिले की खड़ी होली की तो इसकी बात ही निराली है।

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