उत्तराखंड:(विशेष) आजादी के अमृत काल में बुजुर्ग बसंत बल्लभ पांडेय एवं श्रीमती अम्बा पांडेय ने रेडक्रॉस सचिव को किया भेंट 52 साल पुराना बागेश्वरी गांधी चर्खा

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बागेश्वर: वर्तमान में ठाकुरद्वारा वार्ड में रहने वाले श्री बसंत बल्लभ पांडेय एवं श्रीमती अम्बा पांडेय जी ने आजादी के अमृत काल में रेडक्रॉस सचिव आलोक पांडे को भेंट किया उनका हमेशा सुख दुख में सहारा रहा 52 साल पुराना बागेश्वरी गांधी चर्खा 75 वर्षीय बसंत बल्लभ पांडे द्वारा यह चर्खा 52 साल पहले अमसरकोट के चर्खा उद्योग से ₹45 में खरीदा था। उन्होंने इस दौरान बताया कि जब उनके पास रोजगार नहीं था, यही चर्खा परिवार के पालन पोषण में मददगार रहा।सुख दुख के हर उस दौर में इसी बागेश्वरी चर्खे पर ऊन कात कर घर का खर्च चलाया था। एक किलो ऊन कातने में 8 से 10 दिन लग जाते हैं, लेकिन इस चर्खे ने परिवार पालने में काफी मदद की, यही कारण था कि नौकरी मिलने के बाद भी चर्खा चलता रहा, 2015 तक महीने में चंद किलो ऊन कातने का सिलसिला चला। बाद में ऊन मिलना ही बंद हो गया था। जिसके बाद से यह खाली घर में रखा था। उनकी ये धरोहर और राष्ट्रपिता गाँधी जी जो स्किल इंडिया के ब्रांड था इससे सम्बंधित ये उपकरण देश की आजादी में आंदोलन का एक बड़ा अस्त्र रहा है। रेडक्रॉस सचिव पांडे ने कहा कि उनका आभारी हूं।

मेरी कोशिश रहेगी की मैं इस उपकरण जिले के हर छात्र छात्राओं को दिखाऊं उनसे गाँधी जी एवं उनके इस उपकरण पर चर्चा करूँ एवं इस बागेश्वरी चरखे की उपयोगिता पर वार्ता करूँ। आगे इसे कैसे प्रयोग मैं लाया जाये इसकी तैयारियां भी करनी है। उन्होंने कहा कि मैं बागेश्वरी चरखे को निर्मित करने वाले श्री जीत सिंह टगड़िया जी के परिवार की कहानी भी उनसे साझा करना चाहूंगा ताकि इस गांधीवादी उपकरण जिसने कई स्वाधीनता संग्राम सेनानीयों के परिवारों को आर्थिक रीढ़ प्रदान की से हमारा आज और कल परिचित हो सके। और स्वतंत्रता आंदोलन में मील का पत्थर साबित हुवे इस चरखे की भूमिका से हर बच्चा और युवा रूबरू हो।

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