उत्तराखंड: यहां फर्जी प्रमाण पत्र से नौकरी करने वाले शिक्षक को हुई जेल
नई टिहरी। बीटीसी का फर्जी प्रमाणपत्र लगाकर राजकीय प्राथमिक स्कूल में शिक्षक बनने वाले बिजनौर निवासी को अदालत ने पांच साल कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। आरोपी पर 32 हजार का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माने की धनराशि जमा नहीं करने पर आरोपी को तीन महीने अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी पड़ेगी।बिजनौर निवासी चंद्रपाल सिंह ने मुरादाबाद से जारी बीटीसी प्रमाणपत्र अनुक्रमांक 5983 के आधार पर शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक की नियुक्ति पाई थी। 31 दिसंबर 1990 को चंद्रपाल सिंह ने जिले के भिलंगना ब्लॉक में बतौर सहायक अध्यापक का कार्यभार ग्रहण कर दिया था।फर्जी बीटीसी प्रमाणपत्र से शिक्षक की नियुक्ति पाने के बाद सिविल लाइन मुरादाबाद निवासी अख्तर हुसैन के शिकायती पत्र पर शिक्षा विभाग ने वर्ष 2018 में चंद्रपाल के शैक्षिक प्रमाणपत्रों की जांच कराई। एसआईटी ने जांच में शिक्षक का बीटीसी प्रमाणपत्र फर्जीपाया। इस रिपोर्ट के आधार पर 10 दिसंबर 2019 को तत्कालीन बीईओ की ओर से थाना घनसाली में शिक्षक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। पुलिस ने विवेचना के आधार पर न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल किया। कोर्ट में ट्रायल के दौरान अभियुक्त ने आरोपों से इनकार किया।लेकिन डायट कांठ मुरादाबाद यूपी के अधिकारियों का लिखित पत्र और अन्य कई साक्ष्य और गवाह प्रस्तुत किए जाने पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश योगेश कुमार गुप्ता की अदालत ने दोष सिद्ध पाते हुए चंद्रपाल सिंह को पांच साल कठोर कारावास और 32 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।जिला शिक्षाधिकारी (बेसिक) वीके ढौंडियाल ने बताया कि जांच में बीटीसी का प्रमाणपत्र फर्जी पाए जाने पर शिक्षक चंद्रपाल को जुलाई 2020 में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।