उत्तराखंड: सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा की पूजा द्वारा तैयार की गई दाज्यू, भुला वाली राखियां बनी आकर्षण का केंद्र, ऐपण कला संवारने का भी शानदार प्रयास

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अल्मोड़ा: उत्तराखंड की ऐपण कला को संवार रही ऐपण गर्ल पूजा आर्या ने भाई-बहन के प्रसिद्ध त्यौहार रक्षाबंधन के लिए इस बार शानदार राखियां तैयार की है। जिसमें पहाड़ की संस्कृति को बचाने के साथ ही कई तरह के पहाड़ी शब्दों का प्रयोग देखनेवको मिला है। हाथों से निर्मित इन राखियों की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है। पूजा आर्या कुमाऊँ की लोककला ऐपण के साथ जोड़कर ऐपण वाली राखी तैयार कर रही है।पूजा ने पौराणिक पारम्परिक लोककला ऐपण को राखियों में उतारकर प्रदेश में ऐपण कला के संवर्धन में एक नई शुरुआत की है। साथ ही ऐपण वाली राखी से उत्तराखंड में रक्षाबंधन त्यौहार में एक नई पहचान दिलाने में जुटी है। ऐपण वाली राखियों ने उत्तराखंड स्वरोजगार को एक नया विकल्प दिया है। यह राखियां चीन से बनकर आ रही राखियों के एक विकल्प के रूप में एक किरदार अदा कर सकती है।ऐपण वाली राखी तैयार कर रही अल्मोड़ा निवासी पूजा आर्या बताती हैं कि वह लंबे समय से ऐपण कला में कार्य कर रही है। पेंटिंग की कला उन्हें विरासत में मिली हैं। उनके पिता ललित प्रसाद पेशे से एक पेंटर है, बस पिता के इसी पेशे को पूजा ने ऐपण कला के माध्यम से लोगों तक पहुंचा दिया है। पूजा बताती है कि रक्षाबंधन पर लोग उनके फेसबुक पेज या इंस्टाग्राम पेज पर मैसेज कर अपने नाम की राखियां बनवा सकते है। साथ ही लोगों की उनके पास लगातार डिमांड आ रही है। उनके यहां कई नामों से राखियां तैयार है। जिसमें भुला, प्यारा भाई, ब्रो, ओम, स्वातिक, प्यारे भैया, दाज्यू के अलावा लड़कों के नाम से भी राखियां तैयार है अगर आपकांे भी अपने भाई के लिए रक्षाबंधन पर खास और स्पेशल राखी की जरूरत है तो क्यों ना ऐपण वाली राखी से अपने भाई का हाथ सजाया जाय, जिससे उत्तराखंड की लोककला को भी बढ़ावा मिलेगा और आने वाली पीढ़ी के लिए भी अच्छा संदेश जायेगा। आज ही आप पूजा आर्या के फेसबुल और इंस्टाग्राम पेज आर्टिस्ट आर्या पर कमेंट कर खरीद सकते है। वर्तमान में पूजा आर्या, माता की चौकी, पूजा के थाल, शुभवर्तन, नेमप्लेट, बाइक के झंडे, छल्ले, और पूजा के कपड़ों पर ऐपण कला उकेर कर उत्तराखंड की लोककला के प्रचार-प्रसार कर रही है।

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