उत्तराखंड की फिर एक बेटी ने रचा इतिहास यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलब्रुस फतह कर रच डाला इतिहास

ख़बर शेयर करें

इन दिनों उत्तराखंड की बेटियां पूरे देश में छाई हुई हैं हर रोज देवभूमि की बेटियों की ऊंचाई छूने की खबर आम सी बात है। आज के दौर में बेटियों को बेटों से कम किसी भी तरह से नहीं माना जा सकता, क्योंकि पहाड़ की बेटी ने खुद को साबित कर यह कर दिखाया है। कुमाऊँ मंडल विकास निगम कर्मी व पिथौरागढ़ की शीतल राज ने यूरोप महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस फतह कर इतिहास रच दिया है।

कुमाऊँ मंडल विकास निगम के साहसिक पर्यटन इकाई में कार्यरत शीतल द्वारा इस उपलब्धि को हासिल किए जाने पर केएमवीएन के एमडी नरेंद्र सिंह भंडारी और महाप्रबंधक एपी बाजपेई ने शीतल के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए खुशी जाहिर की है। जनपद पिथौरागढ़ के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के ब्रांड एंबेसडर के रूप में शीतल ने पहले भी राज्य को कई बार गौरव की अनुभूति कराई है उन्हें तीलू रौतेली वीरांगना पुरस्कार भी प्रदान किया गया है।
गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली शीतल पिथौरागढ़ में रहती हैं। शीतल ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रदेश ही नहीं पूरे भारत को गर्व के पल दिए हैं। सबसे कम उम्र में कंचनजंगा और अन्नपूर्णा चोटी को फतह कर चुकी 25 वर्षीय शीतल ने अब यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस पर तिरंगा लहराया है।बता दें कि शीतल ने पूर्व में माउंट एवरेस्ट, कंचनजंगा, सतोपंथ, स्टोककांगड़ी, त्रिशूल, देवटिब्बा, रुद्रगौरा पर्वत और अन्नपूर्णा पर्वत नेपाल को भी सफलतापूर्वक फतह किया हुआ है। फिलहाल वक्त में कुमाऊं मंडल विकास निगम नैनीताल के एडवेंचर विंग में कार्यरत शीतल ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पूरे भारत को खुश होने का मौका दिया है।
जानकारी के अनुसार 15 अगस्त को समिट करने के उद्देश्य से टीम ने प्लान बनाया मगर कोरोना के चलते फ्लाइट लेट हो गई। तीन दिन की देरी से मास्को पहुंची टीम ने 13 अगस्त को 3600 मीटर में अपना बेस कैंप बनाया। 14 अगस्त से समिट शुरू कर 15 अगस्त दोपहर एक बजे एल्ब्रुस की चोटी पर टीम ने तिरंगा लहराया।
यूरोप महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा फहरा कर आजादी का जश्न मनाने वाली टीम में चार लोग शामिल थे। क्लाइम्बिंग बियॉन्ड द समिट्स (सीबीटीएस) की ओर से आयोजित इस टीम को शीतल ही लीड कर रही थीं। शीतल ने बताया कि 48 घंटे के अंदर बेस कैंप से समिट करना बहुत ही मुश्किल था।

https://devbhoomikhabarnetwork.com/wp-admin