बागेश्वर:ऐतिहासिक उत्तरायणी मेले में राजनीतिक पंडाल की अनुमति नहीं देना आंदोलनकारियों का अपमान : भगवत सिंह डसीला
कांग्रेस जिलाध्यक्ष भगवत सिंह डसीला ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि प्रति वर्ष माघ माह के प्रथम गते को जनपद बागेश्वर में लगने वाले ऐतिहासिक, पौराणिक, व्यापारिक व सांस्कृतिक मेले में वर्ष 1921 को कुली बेगार आंदोलन की जननी जनपद बागेश्वर में लगने वाले राजनीतिक मंच व राजनीतिक रैली जनसभा को चुनाव आयोग के द्वारा इस बार सहमति नहीं दी हैं।
उन्होंने बताया कि उनके द्वारा चुनाव आयोग उपजिलाधिकारी बागेश्वर से वार्तालाप की गई कि कुली बेगार आंदोलन की जननी बागेश्वर के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानीयों के द्वारा दिए गए बलिदान के बदौलत ही हम आजाद भारत में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। और कल माघ माह के प्रथम गते को प्रतीकात्मक रूप से राजनीतिक दल इस कार्यक्रम को रैलियों और बगड़ में मंच लगा कर करते थे। लेकिन प्रशासन की हठधर्मिता के कारण आज बागेश्वर के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानीयों के अपमान करने की मंशा दर्शाता हैं। आज इस प्रतीकात्मक कार्यक्रम को अनुमति ना देना सरकार और प्रशासन की नियत को दर्शाता हैं। इससे पहले भी जिला चिकित्सालय के बाहर लगे गेट पर महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय श्यामलाल साह जी का नाम लिखा गया था उस गेट को तोड़ने का काम भी प्रशासन के द्वारा किया गया, इससे यह प्रमाणित होता हैं।
उन्होंने कहा कि यह बहुत अफसोस का विषय हैं कि 104 वर्षो से चली आ रही कुली बेगार आंदोलन के प्रतीकात्मक रूप से लगने वाला राजनीतिक मंच व रैली सरयू गोमती व अदृश्य गंगा सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर सौ वर्ष से अधिक समय होने के बावजूद पहली बार प्रशासन ने इस परंपरा को अवरुद्ध करने काम किया जिसका हम जनपद के समस्त कांग्रेसजन विरोध करते हैं।