बागेश्वर: जनता ने लगातार 4 बार चंदन राम दास को विधायक बनाया, इस बार विधायक होगा कौन? प्रदेश के गठन के बाद से सत्ताधारी पार्टी एक भी उपचुनाव नही हारी

ख़बर शेयर करें

बागेश्वर: उत्तराखंड की बागेश्वर आरक्षित विधानसभा सीट से विधायक चुने गए पूर्व कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास का इस साल अप्रैल माह में आकस्मिक निधन हो गया था। उसके बाद से बागेश्वर विधानसभा सीट खाली चल रही थी। जिसके बाद विधानसभा उपचुनाव की तारीखें सामने आई और भाजपा ने स्व चंदन रामदास की पत्नी पार्वती दास को चुनाव मैदान में उतारा । सत्ता मैं बैठी भाजपा जहां सहानुभूति कार्ड खेलकर चुनाव जीतने का दावा कर रही है। सत्ताधारी पार्टी का उपचुनाव में रिकार्ड प्रदेश बनने के बाद से शत प्रतिशत है चाहे वह पिथौरागढ़ का उप चुनाव हो या थराली का या चंपावत और या हो कपकोट का। सभी उप चुनाव सत्ताधारी दल ही हावी रहे हैं। यही कारण है कि सीएम पुष्कर सिंह धामी इस चुनाव को भी हर हाल में जीतना चाहते हैं। वहीं आरक्षित बागेश्वर विधानसभा सीट में कांग्रेस पार्टी ने 2022 में आम आदमी पार्टी से चुनाव लडे कांग्रेस में आए बसंत कुमार को चुनाव मैदान में उतारा है। इस सीट पर वर्ष 2007 से लगातार हार का मुंह देख रही कांग्रेस इस बार बाहरी प्रत्याशी लाकर अपनी खोई जमीन खोज रही है। वर्तमान में कांग्रेस के विधायक प्रत्याशी बसंत कुमार इससे पहले वर्ष 2017 का चुनाव बसपा से लड़े। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर उन्होंने पाला बदलकर। आम आदमी पार्टी से चुनाव लडा। इस बार के उप निर्वाचन में एक बार फिर पाला बदल बसंत कांग्रेस पार्टी से चुनाव के रण में हैं। चारो तरफ इस विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के प्रत्याशियों के बीच जोरदार टक्कर की चर्चायें आम हैं। आपको अवगत करा दें बागेश्वर विधानसभा उपचुनाव के लिए आगामी 5 सितंबर को मतदान होगा और 8 सितंबर को मतगड़ना के साथ ही चुनावी नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे। बागेश्वर विधानसभा में कुल 118311 मतदाता है पुरुष 60028, महिला 58283 मतदाता है। सर्विस मतदाता में पुरुष 2166, महिला 47 मतदाता है।

सरयू गोमती और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी के तट पर बसे बाबा बागनाथ नगरी बागेश्वर को कुमाऊं की काशी के नाम से भी जाना जाता है। यहां भगवान शिव का प्राचीन बागनाथ मंदिर है ।इसी प्राचीन मंदिर के नाम से नगर का नाम बागेश्वर पड़ा है वर्तमान में यह जनपद मुख्यालय है। बागेश्वर निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है। वर्ष 2002 में यहां पहली बार हुए विधानसभा चुनाव हुए। उस वक्त कांग्रेस उम्मीदवार रामप्रसाद टम्टा ने इस सीट से जीत का परचम लहराया था। 2007 में दूसरे विधानसभा चुनाव में भाजपा के चंदन रामदास खासे अंतर से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। 2012 विधानसभा निर्वाचन, 2017 निर्वाचन और 2022 के चुनाव में भी चंदन रामदास ने इस सीट पर जीत हासिल की थी।


अभी वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा प्रत्याशी चंदन रामदास ने 12,141 वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। इस निर्वाचन में चंदन रामदास को 32,211 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार रंजीत दास को 20,070 वोटों पर ही संतोष करना पड़ा था। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी बसंत कुमार तीसरे नंबर पर रहे थे। अप्रैल 2023 को कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास के निधन के बाद से सीट खाली चल रही थी। पूर्व कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास के सरल व्यवहार के चलते बागेश्वर की जनता उनकी काफी करीब रही है। हर चुनाव में यह बात झलकी भी अब देखना रोचक होगा कि इनमें से कितने वोट कांग्रेस को और कितने बीजेपी के खाते में जायेंगे, यह मतगणना के बाद ही तय होगा। हालांकि पूर्व में लगातार चार बार बीजेपी विधायक की जीत ने पार्टी को बागेश्वर में मजबूत किया है। अब इस विधानसभा में पहली बार महिला प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारने से महिलाओं के वोटों में भी और कितना प्रभाव पड़ेगा।

इस उपचुनाव में भाजपा हो या कांग्रेस दोनों पार्टी पूरे दमखम के साथ चुनावी रण में उतरे हैं। यह उपचुनाव सत्ताधारी बीजेपी के लिए बेहद प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। बागेश्वर में 1 लाख 18 हजार 225 मतदाता है। इन में 60,045 पुरुष और 58, 180 महिलाएं हैं। सर्विस मतदाताओं की संख्या 2,207 है जिनमें से महिला मतदाता 57 है। उपचुनाव के लिए यहां 172 मतदान केंद्र और 188 मतदेय स्थल बनाए गए हैं। जिला निर्वाचन अधिकारी अनुराधा पाल के अनुसार, विधानसभा क्षेत्र को 28 सेक्टर में बांटा गया है। चुनाव की तैयारियां पूरी कर ली गई है।4 सितंबर को पोलिंग पार्टियां भी रवाना कर दी जाएंगी और 5 सितंबर को पूरी विधानसभा क्षेत्र में मतदान होगा और 8सितंबर को मतगड़ना

इस विधानसभा सीट में बेसक बीजेपी बीते 4चुनाव से जीतते आ रही है। एसे में पार्टी उपचुनाव में भी जीत को लेकर आश्वस्त रही है।इसके बाद भी बीजेपी ने नो रिस्क के फार्मूले को अपनाते हुवे चंदन राम दास की पत्नी पार्वती दास पर ही भरोसा जताया है।चुनाव के लिए चंदन राम दास के परिजनों मैदान में खड़ा करने की तैयारी पहले से ही की गई थी।