बागेश्वर: अपनी परीक्षा के दिन जीवन ने पहले अपने पिता का किया अंतिम संस्कार उसके बाद दी परीक्षा इतने कठिन हालातों के बाद भी जीवन का नहीं डगमगाया हौसला ,उत्तराखंड बोर्ड की श्रेष्ठता सूची में 21वां स्थान पाकर की एक मिशाल पेश

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हाईस्कूल बोर्ड की परीक्षा का परीक्षा परिणाम भी सामने आ गया है कई छात्रों ने जहां प्रदेश स्तर में शानदार प्रदर्शन कर उत्तराखंड में रैंक हासिल की एसे में उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा की श्रेष्ठता सूची में स्थान बनाने वाले जीवन जोशी का संघर्ष और हौसला एक मिशाल बनकर सामने आया है कपकोट विकासखंड के प्रतिभावान जीवन ने परीक्षा के दिन अपने पिता को खो दिया,पहले तो जीवन ने पुत्र धर्म निभाते पहले पिता का अंतिम संस्कार किया, उसके बाद परीक्षा दी। दुख की इस घड़ी में जीवन का हौसला नहीं डगमगाया, जो कि बीते रोज 25 मई बृहस्पतिवार को घोषित परीक्षा परिणाम में देखने को मिला हाईस्कूल बोर्ड परीक्षा में 94.80 प्रतिशत अंक हासिल कर वह प्रदेश की मैरिट लिस्ट में 21वें नंबर पर रहे।

जीवन जोशी कपकोट के दूरस्थ गांव पोथिंग के रहने वाले एक साधारण परिवार से हैं। उनके पिता तारा तारा दत्त जोशी गाजियाबाद की एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे। इस दौरान ही उन्हें कैंसर हो गया। लगभग दो वर्ष तक इलाज कराने के बाद इस साल बोर्ड परीक्षा के दौरान उनका निधन हो गया। जिस दिन उनका निधन हुआ, उनके पुत्र जीवन की सामाजिक विज्ञान की परीक्षा थी।बालक पर एक ओर परीक्षा का तनाव और दूसरी ओर पिता के निधन से जीवन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। ऐसे विषम हालातों में भी जीवन ने हौसला नहीं खोया, उन्होंने पहले तो पुत्र धर्म निभाते हुवे पिता का अंतिम संस्कार किया और बाद में परीक्षा दी।

जीवन बताते हैं कि जिस दिन उनके पिता का निधन हुआ, उनका सामाजिक विज्ञान का पेपर था। दुःख के इस माहौल में दिए गए इस प्रश्नपत्र में उन्हें 98 अंक मिले हैं। पिता के निधन के चार दिन बाद उन्होंने संस्कृ‌त की परीक्षा दी थी। जिसमें उन्हें 94 अंक मिले। जीवन को हिंदी में 88, गणित में 97, विज्ञान में 97 और अंग्रेजी में 93 अंक मिले हैं।

जीवन ये भी कहते हैं कि पिता की बीमारी का दौर उनके पूरे परिवार के लिए बेहद मुश्किल भरा था। पिता के इलाज में काफी धन खर्च हुआ। उनके देहांत के बाद घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। माता लक्ष्मी देवी गृहणी है। बड़ी बहन इंटर पास करने के बाद प्राइवेट कॉलेज कर रही है। पिता के जाने के बाद परिवार वालों और रिश्तेदारों से मदद मिली। शिक्षकों का भी सहयोग मिला, लेकिन अब आगे की पढ़ाई के लिए गांव से बाहर जाना पड़ेगा। जीवन का कहना है कि आर्थिक तंगी के कारण परेशानी तो है, लेकिन उन्हें भगवान पर उनका पूरा भरोसा है।

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