पुलिस टीम द्वारा थाना बैजनाथ क्षेत्रान्तर्गत नाबालिग का विवाह तय होने की सूचना पर सम्बन्धित विभागों की टीम के साथ मिलकर विवाह को रोका व बाल विवाह मुक्त उत्तराखंड अभियान के तहत की गई कार्यवाही।

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एसपी बागेश्वर के मार्गदर्शन में लगातार जागरूकता का दिखा असर

पुलिस टीम द्वारा थाना बैजनाथ क्षेत्रान्तर्गत नाबालिग का विवाह तय होने की सूचना पर सम्बन्धित विभागों की टीम के साथ मिलकर विवाह को रोका व बाल विवाह मुक्त उत्तराखंड अभियान के तहत की गई कार्यवाही।

परिजनों को बाल विवाह व अन्य आवश्यक जानकारी देकर किया जागरूक।

आज दिनांकः- 04-05-2025 को सूचना प्राप्त हुई कि थाना बैजनाथ क्षेत्रान्तर्गत ग्राम रियूनी लखमार में एक नाबालिग लड़की का विवाह होना सुनिश्चित हुआ है। उक्त सूचना पर श्री चंद्रशेखर घोडके पुलिस अधीक्षक जनपद बागेश्वर द्वारा बाल विवाह मुक्त उत्तराखंड अभियान के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए जिस पर टीम द्वारा तस्दीक हेतु तत्काल आवश्यक कार्यवाही कर प्रभारी डी0सी0आर0बी0 निरीक्षक श्री टी0 आर0 बगरेठा, प्रभारी एंटी ह्यूमन ट्रैफिक यूनिट उपनिरीक्षक मीना रावत मय वन स्टॉप सेंटर, चाइल्ड हेल्पलाइन टीम, बैजनाथ पुलिस टीम उक्त स्थान पर पहुचें और जन्मतिथि के सम्बन्ध में दस्तावेज चैक किये तो लड़की का नाबालिग होना पाया गया इस पर संयुक्त पुलिस /वन स्टॉप सेन्टर की टीम द्वारा लड़की के परिजनों की काउंसलिंग करायी गयी एवं उन्हें बाल विवाह अधिनियम के बारे में जानकारी देकर जागरूक किया गया। बाद काउंसलिंग लड़की के परिजनों द्वारा कहा कि वह अपनी पुत्री का विवाह बालिग होने के उपरान्त ही करेगें तथा वह कानून की जानकारी के अभाव में अपनी पुत्री का विवाह कर रहे थे। साथ ही उपस्थित परिजनो को बाल विवाह रोकथाम की शपथ दिलवाई गई।
तत्पश्चात थाना पुलिस व संयुक्त टीम द्वारा मौके पर उपस्थित स्थानीय लोगों को *बाल विवाह, बाल अपराध, महिला सुरक्षा, चाइल्ड हेल्प लाइन, बाल भिक्षा वृत्ति,मानव तस्करी, साइबर क्राइम, यातायात नियमों, नशा मुक्ति तथा उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा चलाये जा रहे विभिन्न प्रकार के एप जैसे-” “उत्तराखंड पुलिस एप” गौरा शक्ति एप, देवभूमि एप, उत्तराखण्ड ट्रैफिक आई एप के साथ-साथ *डॉयल- 112, 1090,1098, साइबर हेल्पलाइन नम्बर- 1930* आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।
पुलिस विभाग नागरिकों से अपील करता है कि वे इस प्रकार की घटनाओं की सूचना तुरंत पुलिस को दें, ताकि समाज में जागरूकता लाई जा सके और बच्चों के अधिकारों की रक्षा की जा सके।

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