उत्तराखंड-(मौसम अलर्ट) बदल रहा अचानक मौसम का मिजाज, मौसम को लेकर अपडेट देखिए
उत्तराखंड में इन दिनों मौसम का मिजाज शुष्क बना हुआ है सुबह-शाम सर्दी के साथ ही दिन में धूप खिल रही है जिसके चलते गर्मी का एहसास शुरू हो चुका है। मौसम विभाग के मुताबिक आज 18 फरवरी को राज्य भर में मौसम शुष्क रहने का अनुमान है।मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक 19 फरवरी से मौसम में बदलाव की संभावना है। 19 से 21 फरवरी तक उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़ जिले में ऊंचाई वाले इलाकों में हल्की बारिश और बर्फबारी हो सकती है। अन्य इलाकों में मौसम साफ रहेगा।राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक, 17 से 20 फरवरी तक देहरादून, टिहरी, पौड़ी, अल्मोड़ा, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, उधमसिंह नगर जिले में अधिकतम तापमान सामान्य से 06 से 08 डिग्री सेल्सियस तक अधिक रह सकता है। ऐसे में इन जिलों में यलो अलर्ट जारी किया गया है। साथ ही इसी अवधि में उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर और पिथौरागढ़ में अधिकतम तापमान सामान्य से 08 से 10 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है। इन जिलों में ओरेंज अलर्ट जारी किया गया है। तापमान में परिवर्तन के चलते फ्लू के प्रसार का ज्यादा अंदेशा है। साथ ही पहाड़ों में बर्फ पिघलने से हिमस्खलन की संभावना है। नदियों का जल प्रवाह बढ़ सकता है। साथ ही खेतों में नमी की कमी से फसल सूखने का भी अंदेशा है।मौसम विभाग का कहना है कि उच्च तापमान के कारण राज्य की प्रमुख नदियों के जल स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना है मौसम विभाग ने बांध जलाशय के अधिकारियों को सलाह दी है कि वह इस दौरान स्थिति पर बारीकी से नजर रखे एवं आवश्यक कार्यवाही करें साथ ही हिमस्खलन संभावित क्षेत्र में प्रतिष्ठानों की स्थिति की बारीकी से निगरानी करने की सलाह दी जाती है वही किसानों को उचित तापमान के प्रभाव को कम करने के लिए फसलों की सिंचाई करने की सलाह दी है। इधर दिन और रात के तापमान में अंतर के चलते मौसमी बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ गया है। दून अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की संख्या में हर दिन इजाफा हो रहा है। लोग वायरल बुखार, बदन दर्द, खांसी-जुकाम और गले संबंधी समस्याओं से पीड़ित हो कर अस्पताल पहुंच रहे हैं।मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह के मुताबिक दक्षिण-पश्चिम की हवाओं की दस्तक से अब तापमान में तेजी से बढ़ोतरी होगी और गर्मी का दौर शुरू हो जाएगा। दो हजार मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में अधिकतम तापमान में बढ़ोतरी के चलते न सिर्फ ग्लेशियर तेजी से पिघलेंगे, बल्कि ग्लेशियरों के टूटने और हिमस्खलन की संभावना है।