बागेश्वर:सरकार की करनी और कथनी का जीता जागता उदाहरण है कपकोट विधानसभा का उप तहसील शामा।

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वर्ष 2016 में भूमि पूजन और वर्ष 2020 में लोकार्पण होने के बाद भी शामा उप तहसील मात्र भवन निर्माण तक ही सीमित रह गया ,,,
क्षेत्रीय जनता द्वारा कई बार शासन प्रशासन और विधानसभा के विधायक को अवगत कराने के बाद भी कोई समाधान नहीं हो पाया,, जिस कारण स्थानीय जनप्रतिनिधियों और आम जनता में रोष व्याप्त है। स्थानीय जनप्रतिनिधियो का कहना है मा विधायक कपकोट सभी मंचों से कहते है कि विकास और सभी योजनाओं का लाभ अन्तिम छोर में रह रहे व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए लेकिन जमीनी हकीकत यही है कि बिचला दानपुर की लगभग 22000 हजार की आबादी अपने छोटे छोटे कामों के प्रपत्र बनाने के लिए आज भी 30 किलोमीटर दूर कपकोट तहसील पर निर्भर होना पड़ रहा हैं,, यदि सभी कार्यों के लिए कपकोट ही जाना था तो सामा उप तहसील में बना 3 करोड़ के भवन का क्या ओचित्य है।
हमारी शासन प्रशासन से मांग है कि अविलंब उप तहसील शामा में अधिकारियों और कर्मचारियों की तैनाती कर व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चलाई जाए ताकि क्षेत्रवासियों को इसका लाभ मिल सकें।

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