बागेश्वर-पवित्र आस्था का केन्द्र गौरीउडी्यार गुफा आज भी विकास से कोसों दूर आप भी करें इस अलौकिक गुफा के दर्शन
उत्तराखंड में आज भी ऐसे ऐसे महत्वपूर्ण धार्मिक पर्यटन स्थल हैं जो कि पर्यटन की बड़ी संभावनाआये रखते हैं लेकिन शासन प्रशासन उपेक्षा के चलते विकास से कोसों दूर हैं ऐसा ही धार्मिक रमणिक स्थल बागेश्वर जिला मुख्यालय से केवल 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ग्राम पंचायत पुरकोट जहा पर स्थित है एक पवित्र आलौकिक गुफा जिसे गौरीउडी्यार के नाम से जाना जाता है परन्तु आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी उत्तराखण्ड की बात तो छोड़ दिजिए स्वयं बागेश्वर जनपद के कुछ ही लोग इस गुफा के बारे में जानते है पौराणिक कथाओं व मान्यताओं के आधार पर पता चलता है कि जब भगवान भोले बाबा शिव शंकर कैलाश पर्वत से अपनी बारात लेकर हिमालयराज के यहा जा रहे थे तो बारात को काफी दूर जाना था यहा इस पवित्र स्थान पर पहुचते पहुचते बारात को रात हो गई इसलिए इसी स्थान गौरी उडी्यार में शिव जी ने अपने असंख्य बारातियों के साथ विश्राम किया व प्रातः काल इसी गौरीउडी्यार गुफा मे बने मार्ग से होते हुए हिमालयराज के यहा को बारात ने प्रस्थान किया आज भी इस पवित्र स्थान पर इसका प्रमाण इस गुफा मे बने असंख्य शिव लिंग के रूप में बनी कआकृतियो से लगाया जा सकता है इसी गुफा के ठिक नीचे एक पवित्र जलकुंड भी है जहा पर स्वयं शिव जी व उनके बारातियों ने स्नान किया था पुराने समय के लोग बताते है कि गुफा की छत से असंख्य जलधाराओं के रूप में दूध टपकता था जिसे पीकर बारातियों ने अपनी भूख मिटाई थी मगर वर्तमान मे वह दूध की धाराये उपर से तो दूध के रूप में गिरती है मगर जमीन पर आते आते जल बूदों मे बदल जाती है इस गुफा मे अन्य भी अनेक रोमाचित करने वाली आकृतिया है इतनी पवित्र और रोमाचित करने वाली गुफा मे आज एक सुरक्षित गुफा तक पहुचने का मार्ग भी सरकार नहीं बना पाई प्रदेश सरकार को पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इसकी सुध लेनी चाहिए क्योंकि पर्यटन ही हमारे प्रदेश की आय का एकमात्र साधन है॥