उत्तराखंड: प्रदेश को दी बहुत बड़ी सौगात मोदी सरकार ने

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दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने उत्तराखंड में सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 12.9 किलोमीटर लंबी रोपवे परियोजना के निर्माण को मंजूरी दे दी है। यह परियोजना राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम – पर्वतमाला परियोजना के तहत विकसित की जाएगी।
यह परियोजना डिजाइन, बिल्ड, फाइनेंस, ऑपरेट और ट्रांसफर (DBFOT) मॉडल पर सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के तहत विकसित की जाएगी, जिसकी कुल अनुमानित लागत 4,081.28 करोड़ रुपये होगी।
रोपवे परियोजना की मुख्य विशेषताएँ:
तकनीक: यह रोपवे अत्याधुनिक ट्राई-केबल डिटैचेबल गोंडोला (3S) तकनीक पर आधारित होगा।
क्षमता: प्रति घंटे प्रति दिशा 1,800 यात्री, जिससे प्रतिदिन 18,000 यात्री यात्रा कर सकेंगे।
समय की बचत: वर्तमान में 16 किमी का कठिन पहाड़ी रास्ता 8-9 घंटे में तय किया जाता है, लेकिन रोपवे से यह सफर मात्र 36 मिनट में पूरा होगा।

परियोजना के लाभ:
यह तीर्थयात्रियों के लिए पर्यावरण-अनुकूल, आरामदायक और तेज कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
निर्माण और संचालन के दौरान रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे।
पर्यटन, आतिथ्य, यात्रा, खान-पान और अन्य संबंधित उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा।
पहाड़ी क्षेत्रों में अंतिम छोर तक संपर्क (लास्ट-माइल कनेक्टिविटी) बढ़ेगा और आर्थिक विकास को गति मिलेगी।

केदारनाथ यात्रा की वर्तमान स्थिति:
फिलहाल, सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 16 किमी की यात्रा गौरीकुंड से शुरू होती है, जिसे पैदल, टट्टू, पालकी या हेलीकॉप्टर से तय किया जाता है।
प्रस्तावित रोपवे सालभर कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगा, जिससे तीर्थयात्रा अधिक सुगम और सुविधाजनक होगी।

केदारनाथ मंदिर का महत्व:
केदारनाथ बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो रुद्रप्रयाग जिले में समुद्र तल से 3,583 मीटर (11,968 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है।
मंदिर अक्षय तृतीया (अप्रैल-मई) से दिवाली (अक्टूबर-नवंबर) तक लगभग 6-7 महीनों के लिए खुला रहता है।
हर साल लगभग 20 लाख तीर्थयात्री केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए आते हैं।

यह रोपवे परियोजना उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन और आर्थिक विकास के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित होगी।

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