उत्तराखंड: सूबे के पंचायत चुनाव में युवाओं का शानदार प्रदर्शन, बिगाड़े दिग्गजों के समीकरण

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देहरादून- उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 संपन्न हो चुके हैं, जिन्हें ‘गांव की सरकार’ की नींव कहा जाता है। इस बार के चुनाव परिणामों में कई चौंकाने वाले और उत्साहजनक रुझान सामने आए। जहां कई दिग्गज प्रत्याशी अपनी सीट तक नहीं बचा सके, वहीं कम उम्र के ऊर्जावान युवाओं ने अपने दम पर पंचायतों की सत्ता में दस्तक दी है। कई युवा प्रत्याशियों ने अनुभवियों को पछाड़ते हुए ग्राम प्रधान पद पर विजय हासिल कर नई मिसाल पेश की है। इनमें से कुछ युवा तो ऐसे हैं जो अभी कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर रहे हैं या हाल ही में स्नातक हुए हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ प्रेरणादायक युवा जनप्रतिनिधियों के बारे में:
प्रियंका नेगी (21 वर्ष)
ग्राम पंचायत सारकोट, गैरसैंण, चमोली⤵️
राजनीति शास्त्र से स्नातक प्रियंका नेगी ने 421 वोटों के साथ जीत दर्ज की और चमोली जिले की सबसे कम उम्र की प्रधान बनीं। उनके पिता भी दो बार ग्राम प्रधान रह चुके हैं। प्रियंका ने जिस सारकोट गांव की कमान संभाली है, उसे खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गोद लिया है।

कंचन (21 वर्ष 6 माह)⤵️
ग्राम पंचायत नकोट गुसाईं, थौलधार, टिहरी गढ़वाल⤵️
कंचन ने जिले की सबसे युवा प्रधान बनने का गौरव प्राप्त किया। गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली कंचन ने अपने अनुभवों से सीखा कि वादे केवल कागज़ पर न रह जाएं, इसलिए वह खुद बदलाव लाने के लिए चुनावी मैदान में उतरीं।
तनुजा बिष्ट (21 वर्ष)
ग्राम पंचायत शक्तिपुर बुंगा, चंपावत⤵️
बीएससी पास तनुजा ने क्षेत्र के वरिष्ठ उम्मीदवारों को हराकर यह दिखा दिया कि युवा सोच के साथ नेतृत्व की काबिलियत भी उनमें है। उनका लक्ष्य गांव में आधुनिक सोच के साथ समावेशी विकास करना है।

साक्षी (22 वर्ष)
ग्राम पंचायत कुई, पाबौ, पौड़ी गढ़वाल⤵️

बीकेट (BCA) पास साक्षी अब तकनीकी जानकारी का उपयोग करते हुए गांव के लोगों को डिजिटल सेवाओं से जोड़ने और बुनियादी सुविधाओं के विस्तार का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही हैं।
ईशा (22 वर्ष)
ग्राम पंचायत क्विरिजिमिया, मुनस्यारी, पिथौरागढ़⤵️

बीएड पास ईशा ने जीत के बाद कहा कि वह युवाओं को विकास में भागीदार बनाएंगी और हर वर्ग को पंचायत योजनाओं से जोड़ा जाएगा।

नितिन नेगी (23 वर्ष)
ग्राम पंचायत बणद्वारा, दसोली, चमोली⤵️

नितिन नेगी का चुनाव परिणाम सबसे रोमांचक रहा। उन्हें और उनके प्रतिद्वंदी को बराबर 138-138 वोट मिले। निर्णय टॉस से किया गया, जिसमें किस्मत ने नितिन का साथ दिया और वे प्रधान बने।
चुनाव में युवा बनें बदलाव की आवाज⤵️

उत्तराखंड पंचायत चुनावों में युवाओं की यह बढ़ती भागीदारी इस बात का संकेत है कि अब गांवों में सिर्फ बुजुर्ग अनुभव ही नहीं, बल्कि नई पीढ़ी की ऊर्जा और सोच भी अपना स्थान बना रही है। गांव की सरकार अब युवाओं के हाथों में है, और उम्मीद की जा रही है कि ये नए नेता अपने गांवों को न केवल मूलभूत सुविधाएं देंगे, बल्कि डिजिटल और टिकाऊ विकास की ओर भी अग्रसर करेंगे।

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