बागेश्वर:प्याज के पौध की खरीद के लिए उमड़ी भीड़,कुछ काश्तकारों को लौटना पड़ा खाली हाथ

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उत्तराखंड का बागेश्वर धार्मिक व पर्यटन के लिए जाना ही जाता है इसके साथ साथ ये पहाड़ी जिला बागवानी व मौसमी सब्जियों के उत्पादन में भी लगातार उन्नति कर रहा है। ठंड का मौसम आते ही काश्तकार अपनी प्याज कि फसल के लिए तैयारी करने लगते है। बागेश्वर के बाजारआजकल प्याज कि पौध से सजी हैं। रानीखेत, माल्ता। दफौट के प्याज की पौंध खासा मांग रहती है।खासकर रानीखेत का प्याज बागेश्वर के काश्तकारो द्वारा बेहद पसंद किये जाने वाली किस्म है ।वहीं प्याज के पौध की अगर बात करें तो उद्यान विभाग बागेश्वर द्वारा भी काश्तकारो को पौधे उपलब्ध कराये जाते हैं ।विगत सालों की भांति इस साल भी कम दामों पर प्याज की पौध काश्तकारों को उपलब्ध कराई गई इस बार भी 06 दिसंबर से पौंधे बटना शुरू हुआ था।

वहीं प्याज की पौध लेने के लिए इस साल बड़ी संख्या में किसान पहुंचे उत्पादन में कमी के चलते प्याज की पौंध कम हो गयी जिससे सभी काश्तकारो को प्याज कि पौंध नही मिल पायी। और 08 दिसम्बर कि दोपहर को ही जिला पौधालय बागेश्वर मे प्याज के पौधे समाप्त हो गये। और कई काश्तकारों को खाली हाथ ही घर लौटना पढ़ा ।अधिकतर देखने को मिलता है कि प्याज की पौध तैयार करने में मौसम का भी महत्व होता है कई बार मौसम की मार के चलते उत्पादन भी गिर जाता है। वहीं बाजारों की भी अगर बात करें तो अन्य वर्षों की तुलना में इस साल बेहद कम प्याज की दुकानें लग रही हैं जिसके चलते पौधों की कीमतों में भी उछाल देखने को मिल रहा है और लोगों ने कम दरों में प्याज की पौध खरीदने के लिए सरकारी पौधालय का रुख किया और वहां भी सभी कास्तकारों को पौध नहीं मिल पाई।

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