बागेश्वर का सरयू पुल 59 कि उम्र में भी हर रोज सैकड़ों वाहनों का वजन सह कर लोगों की यात्रा को बनाता है सुगम
आर. पी. काण्डपाल
बागेश्वर का सरयू पुल 59 कि उम्र में भी हर रोज सैकड़ों वाहनों का वजन सह कर लोगों की यात्रा को सुगम बना रहा है।
पिथौरागढ व बागेश्वर को जोडने वाले सरयू पुल किसी मिसाल से कम नही है। 1962 मे बनी ये पुल आज भी बेजोड़ इंजिनियरिंग का नमूना है नेशनल हाईवे 309 ए पर स्थित यह पुल चीन युद्ध के समय सेना कि मदद व नगरवासियों की सुविधा के लिए बनाया गया था। लेकिन 1962 में बना ये पुल किसी मिशाल से कम नहीं माना जा सकता क्योंकि उस वक्त से 90के दशक तक वाहनों का दबाव बेहद कम हुआ करता था लेकिन आज के दौर में लगातार बढ़ता वाहनों के दबाव को भी ये पुल लगातार झेल रहा है।
बेसक अभी कुछ वर्षों पहले ही इसमें कुछ मरमत का कार्य भी किया गया है।लेकिन उम्र के साथ साथ लगातार बढ़ता वाहनों का दबाव इसे थोड़ा कमजोर जरूर बना रहा है लेकिन आज भी पिथौरागढ़ से जोड़ने वाला ये पुल लोगों को अपनी लगातार सेवा प्रदान कर रहा है।य के साथ ये कमजोर होता गया। पुल के नीचे के नीचे लगे ज्यादातर गार्डर गल चुके हैं। पुलों में बिछाया गया लेंटर तो कब का दम तोड चुका था जिसके स्थान पर लोहे की चादर बिछाई गई है।जिससे दोपहिया वाहनों कि आवाजाही मे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पडता है।।
सरयू नदी पर बने पुल में प्रतिदिन सैकडों कि संख्या मे वाहन दौड़ते हैं। लेकिन अब भी इस पुल की अगर सेवा लेनी हो तो सरकार और शासन को इस पुल के रख रखाव और का विशेष ध्यान देने की जरूरत है ।
सरयू नदी पर बने पुल में प्रतिदिन सैकडों कि संख्या मे वाहन दौड़ते हैं। लेकिन अब भी इस पुल की अगर सेवा लेनी हो तो सरकार और शासन को इस पुल के रख रखाव और का विशेष ध्यान देने की जरूरत है ।