उत्तराखंड:- खूब भा रही है लोगों को मुनस्यारी की राजमा बाजार में 250 रुपए से 500 रुपए की कीमत में बिक रही है ये राजमा देखिए पूरी खबर

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आर. पी. काण्डपाल

पहाड का नाम आते ही लोग हैरना परेशान होने लगते हैं कि ये लोग पहाड़ों पर अपना जीवनयापन कैसे करते होंगे! जितने दुर्गम इन पहाडो के रास्ते होतें है उतने ही सुगम होते हैं यहां के दाल, अनाज, और पकवान
दूर मैदानी इलाकों से विदेशो तक इन की खासा मांग रहती है। पहले से जब भी कोई पहाडो को आता तो भांग के दाने, मडूवा, गहत, गडेरी, राजमा ले आने को कहता।

समय के साथ अब पहाडी समानों को अच्छा बजार मिलने लगा है । इन बाजारों मे पिथौरागढ जिले के सीमांत गांव मुनस्यारी व धारचुला कि राजमा का स्वाद लोगों की जुबान से उतरा नही है।
ये रजमा सफेद और चितकबरे रंग कि होती है। और मैदानी इलाकों कि राजमा से कहीं ज्यादा स्वादिष्ट व पौष्टिक होती है। जल्द पक जाने व पाचन मे आसान व स्वाद में बेहद उम्दा होने से ये हमेशा लोगों की डिमांड मे रहती है।


ऊचाई पर बसे मुनस्यारी के ग्राम जलथ,कविरिजिमि,साई पौलु,बुई पातो ओर सबसे अधिक उच्चाई वाले गांव बोना की राजमा सबसे ज्यादा स्वादिष्ट बतायी जाती है किसान श्री हयात रावत ने बताया कि यहां राजमा कि लगभग 60/65 किस्में उगाई जाती है। राजमा की प्रमुख किस्में में लाल,चित्रा, सफेद, पीला, काला,दूधिया सफेद चित्रा के विभिन्न रंग व आकर के दाने व किस्में होती है इस वर्ष मौसम की मार के कारण राजमा के दाम बड गये हैं। विगत वर्षों की अपेक्षा इस बार बाजारों मे मुनस्यारी व पहाड़ी राजमा 250 से 500 रूपय किलो तक बिक रही है।


भौगोलिक संकेत जी आई इस वर्ष सम्पूर्ण बात यह है कि भारत के 66 उत्पादो में 7 उत्पाद उत्तराखण्ड के भी है जो जीआई मे शामिल हुवे हैं इसमें राजमा के शामिल हो जाने से किसान बहुत खुश हैं। इससे मुनस्यारी कि राजमा को और बडा बाजार मिलेगा साथ ही लोग अब आनलाईन भी खरीद पायेंगे

क्या है जीआई ( भौगोलिक संकेत)?
ज्योग्राफिक इंडिकेशन (जीआई) एक संकेत है जो उन उत्पादों पर प्रयोग किया जाता है जिनकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति होती है और इसमें उस क्षेत्र की विशेषताओं के गुण और प्रतिष्ठा भी पायीं जाती हैं. इस टैग की मदद से कृषि, प्राकृतिक जैसी वस्तुओं की अच्छी गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जा सकता है.भौगोलिक संकेत वस्तु (पंजीकरण और संरक्षण) एक्ट, 1999 के अनुसार ‘भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री’ द्वारा जारी किया जाता है। उत्तराखंड को पहला जी आई टैग तेजपत्ते के लिए मिला था इसमे दार्जिलिंग कि चाय, तमिलनाडु का सेलम फैब्रिक, कुमाऊं च्यूरा आयल, उत्तराखंड ऐंपण आदि शामिल हैं।



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